जातिगत सर्वे देशभर में इन दिनों राजनीति का बड़ा मुद्दा बनकर सामने आ रहा है। क्या पूर्वांचल क्या दक्षिण भारत सभी ओर इस मामले को लेकर राजनीतिक पार्टियां अपने – अपने मत रख रही है। पीएमके के संस्थापक नेता डॉ. एस. रामदास ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि पार्टी तमिलनाडु में जाति आधारित सर्वेक्ष के समर्थन में एक सेमिनार आयोजित करेगी।
उच्च न्यायालयों के पूर्व न्यायाधीश और कानूनी विशेषज्ञ
'सामाजिक न्याय के लिए जातिवार सर्वे' शीर्षक सेमिनार 26 अक्टूबर को होगा। रामदास ने बयान में कहा कि वह उस सेमिनार का संचालन करेंगे। इस सेमिनार में पीएमके के पूर्व अध्यक्ष जी.के. मणि, भारत के सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के पूर्व न्यायाधीश और कानूनी विशेषज्ञ भी हिस्सा लेंगे। पीएमके के संस्थापक नेता ने कहा कि वह पिछले 44 वर्षों से नए डेटा के आधार पर आरक्षण प्रदान करने के लिए जोर दे रहे हैं।
सामाजिक न्याय योद्धा बन गए
डॉ. रामदास ने बयान में कहा, यहां तक कि जो लोग सड़कों पर बकरियां चरा रहे थे, उन्होंने भी मेरी बात समझी और सामाजिक न्याय योद्धा बन गए। हालांकि यह काफी निराशाजनक है कि राज्य सरकार मेरी बात नहीं समझ सकी। उन्होंने आगे कहा कि जाति जनगणना के महत्व और इस डेटा के आधार पर आरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है।
सर्वे के आधार पर 100 प्रतिशत आरक्षण प्रदान
पीएमके के संस्थापक नेता ने कहा कि यह द्रविड़ विचारक पेरियार की इच्छा थी कि जाति जनगणना कराई जाए और सर्वे के आधार पर 100 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की सत्तारूढ़ सरकार और सत्ता में मौजूद पार्टी सितंबर के अंत तक जाति जनगणना की आवश्यकता दोहरा रही थी लेकिन बाद में चुप हो गई।