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अखिलेश यादव बोले-अभी गठबंधन नहीं तो भविष्य में भी नहीं होगा, प्रेशर पॉलिटिक्स का खेल शुरू!

Desk Team

मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के बीच सपा और कांग्रेस के बीच तल्खी बढ़ती दिख रही है। समाजवादी पार्टी ने मध्य प्रदेश की 9 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। इन्हीं 9 सीटों में 5 पर कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं। मंगलवार को कानपुर में आल इंडिया यादव महासभा के सम्मेलन में पहुंचे अखिलेश यादव ने I.N.D.I.A. गठबंधन के लिए कांग्रेस को चेतावनी दी है। अखिलेश यादव ने कहा कि यह कांग्रेस को बताना होगा कि I.N.D.I.A. गठबंधन भारत के स्तर पर होगा या नहीं।

अखिलेश यादव ने कांग्रेस से गठबंधन को लेकर पूछा सवाल
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर आपसी सहमति न बनने पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के सुर तल्ख हो रहे हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गठबंधन के सवाल पर तल्ख तेवर दिखाए हैं। उन्होंने कहा कि अगर अभी प्रदेश स्तर पर गठबंधन नहीं रखना है तो भविष्य में भी प्रदेश स्तर पर नहीं होगा।

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के उमीदवार आमने-सामने
सपा ने रविवार को मध्य प्रदेश की 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए थे। इसमें पांच सीटें ऐसी हैं, जिन पर कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार घोषित कर रखे हैं। सपा ने पहले ही अपने लिए संभावित सीटों की सूची कांग्रेस को दी थी, जिसे तवज्जो नहीं मिली। मंगलवार को अखिलेश यादव से जब कांग्रेस से गठबंधन को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस को बताना होगा कि I.N.D.I.A. गठबंधन भारत के स्तर पर होगा या नहीं। अगर देश के स्तर पर है तो देश के स्तर पर है, अगर प्रदेश स्तर पर नहीं है तो भविष्य में भी प्रदेश स्तर पर नहीं होगा। यह कांग्रेस को बताना होगा। बता दें कि मंगलवार को सपा ने मध्य प्रदेश के लिए वादों की सूची जारी की है। पार्टी ने जातीय जनगणना, मुफ्त बिजली और लैपटॉप जैसे वादों को अपनी सूची में जगह दी है।

उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को I.N.D.I.A. गठबंधन के बारे में तय करना है कि यह गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर होगा या प्रदेश स्तर पर। अगर अभी प्रदेश स्तर गठबंधन नहीं किया गया तो भविष्य में भी प्रदेश स्तर पर गठबंधन नहीं होगा। माना जा रहा है कि यह एक तरह का प्रेशर पॉलिटिक्स है। अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में मजबूत स्थित में हैं तो वहीं कांग्रेस मध्य प्रदेश में ज्यादा प्रभावी है। ऐसे में दोनों राज्यों में इन दलों के बीच सहमति बनने में दिक्क्त आ रही है।