देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel 'PUNJAB KESARI' को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।
पंजाब : राज्य सरकार के खिलाफ डॉक्टरों के चल रहे विरोध प्रदर्शन के कारण गुरुवार से राज्य के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में ओपीडी सेवाएं पूरी तरह से बंद कर दी गई हैं। डॉक्टरों ने लुधियाना के सिविल अस्पताल में विरोध मार्च निकाला और मांग की कि उनके मुद्दों का समाधान किया जाए। डॉक्टर हरदीप कौर ने कहा, मुझे लगता है कि पंजाब सरकार बहुत सी बातों पर सहमत हो गए हैं, लेकिन हम उनके लौटने की पुष्टि का इंतजार कर रहे हैं। महिला डॉक्टरों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और मेरा मानना है कि सरकार को भी इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण है।
Highlight :
उन्होंने कहा, अगर हमें उनकी तरफ से वापसी का नोटिस मिलता है, तो हमें बहुत खुशी होगी और हम इसके लिए आभारी होंगे। रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल में आने वाले मरीज अचानक सेवाओं के बंद होने से परेशान थे। डॉक्टरों ने अपनी मांगों के बारे में सरकार की ओर से लिखित आश्वासन न मिलने पर निराशा व्यक्त की है। वे सरकारी डॉक्टरों के लिए वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट बढ़ाने, अस्पताल की बेहतर सुरक्षा और अधिक डॉक्टरों की भर्ती की मांग कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे अपना विरोध प्रदर्शन और तेज करेंगे।
सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं पूरी तरह बंद
डॉ. अभिषेक मंगला ने कहा, हमने हड़ताल के बारे में बैठक की, लेकिन कोई सार्थक निर्णय नहीं हुआ। सरकार ने हमें कोई लिखित पुष्टि नहीं दी है, इसलिए हम मार्च जारी रखेंगे। यह हमारी विरोध रैली है क्योंकि हमारी मांगें पूरी नहीं हुई हैं और यह तब तक जारी रहेगी जब तक कि उन्हें संबोधित नहीं किया जाता। उन्होंने कहा, ओपीडी सेवाएं पूरी तरह से बंद हैं और तब तक बंद रहेंगी जब तक कि सरकार हमें यह पुष्टि नहीं देती कि हमारी मांगें पूरी होंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार और डॉक्टरों के बीच चल रहे संघर्ष का आम जनता पर काफी असर पड़ रहा है। सिविल अस्पताल में जाने वाले मरीज ओपीडी सेवाएं बंद होने से चिंतित और परेशान हैं।
इससे पहले, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले की पीड़िता की सभी तस्वीरें सोशल मीडिया से तत्काल हटाने का आदेश दिया था और निर्देश दिया था कि 10 सितंबर को शाम 5 बजे तक काम पर लौटने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। हालांकि, कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी थी कि इसका पालन न करने पर डॉक्टरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
वरिष्ठ अधिवक्ता गीता लूथरा ने कोर्ट के निर्देश पर टिप्पणी करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि डॉक्टरों को धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। इसमें अन्य आवश्यकताओं के अलावा पुरुष और महिला दोनों कर्मचारियों के लिए पर्याप्त शौचालय की सुविधा प्रदान करना शामिल है।