आम आदमी पार्टी (आप) ने पंजाब में सरकार बनने से पहले वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद सबसे पहले कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाएगा। प्रदेश में पार्टी की सरकार बने दो साल से भी ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी भी कच्चे कर्मचारी को पक्का करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है, जिसे लेकर कर्मचारियों में खासा रोष देखने को मिल रहा है। कर्मचारियों ने बुधवार को पठानकोट सहित अन्य इलाकों में अपनी इसी मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया।
विरोध-प्रदर्शन में शामिल एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “आप की पंजाब सरकार को लेकर किसान और आम जनता के बीच विश्वास की कमी नजर आ रही है। चार साल बीत जाने के बाद भी मुख्यमंत्री की ओर से कोई ठोस कदम उठाए जाने की खबर नहीं है। ट्रांसपोर्ट व्यवस्था में सुधार के लिए बार-बार दावे किए जा रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। हाल ही में मुख्यमंत्री के बयान सामने आए हैं, जिसमें उन्होंने सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को निर्देशित किया है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं, लेकिन ये महज शब्द ही हैं, जिनका असर धरातल पर नहीं दिखाई देता।”
प्रदर्शनकारी ने आगे कहा, “ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में भी कई समस्याएं हैं। जो ठेकेदार लंबे समय से काम कर रहे हैं, वे अब भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। इस संदर्भ में सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। सरकार की नीतियों के कारण ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की स्थिति में सुधार की उम्मीद अब खत्म होती जा रही है।”
प्रदर्शनकारी ने कहा, “पिछले कुछ समय से सरकार की तरफ से लगातार उदासीनता देखने को मिल रही है। हाल ही में एक बैठक में परिवहन मंत्री की मौजूदगी में भी कोई महत्वपूर्ण चर्चा नहीं हुई। कई कर्मचारी बिना काम के रह गए हैं और उनकी तनख्वाह में भी कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। अधिकारियों की बैठकें भी सिर्फ औपचारिकता रह गई हैं और इनके परिणाम नहीं निकल रहे हैं। इस सब के बीच, किसान अपने हक के लिए सड़कों पर बैठे हुए हैं। लेकिन, सरकार की ओर से उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा। यह स्थिति दर्शाती है कि सरकार किसानों और आम लोगों की समस्याओं को लेकर कितनी गंभीर है। इस तरह की उदासीनता और असंवेदनशीलता से यह साफ है कि लोग अब भी अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं और उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।”
प्रदर्शनकारी ने कहा, “अगर सरकार वास्तव में अपनी नीतियों में सुधार लाना चाहती है, तो उसे किसानों और आम जनता के बीच संवाद स्थापित करना होगा और उनकी समस्याओं को सुनकर उनका समाधान करना होगा। केवल वादों और दावों से अब काम नहीं चलेगा; ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि लोग सरकार पर विश्वास कर सकें और उनका जीवन बेहतर हो सके।”