पंजाब

तिहाड़ जेल में बंद आतंकी जगतार सिंह हवारा अधिकांश केसों में बरी, अदालत में फिर साबित नहीं हो पाए आरोप

दिसंबर 1995 में पुलिस ने कथित तौर पर कुन्दनपुरी इलाके में आरडीएक्स और एके 56 बरामद की थी। पुलिस ने इसके लिए जगतार सिंह हवारा को दोषी ठहराया था।

Desk Team
लुधियाना : पंजाब के मुख्यमंत्री महरूम बेअंत सिंह क़त्ल केस में सजायाफता तिहाड़ जेल की सलाखों में बंद भाई जगतार सिंह हवारा आज फिर 31वें मुकदमें के दौरान बरी हो गए। इस केस  में भी पुलिस जगतार सिंह हवारा के  खिलाफ सबूत पेश नहीं कर पाई। इससे पहले हवारा 30 विभिन्न केसों में बरी हो चुके है। हालांकि उनके विरूद्ध 37 केस  विभिन्न अदालतों में चल रहे थे, जिनमें से मुख्य केस पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह क़त्ल केस है, जिसमें इन्हें उम्र भर की सजा घोषित हुई है। 
जगतार सिंह हवारा के वकील जसपाल सिंह मझपुर ने बताया कि हवारा अन्य 6 केसों  में घोषित 5 केसों की  सजा की अवधि पूरी कर चुके है जबकि बेअंत सिंह मर्डर केस  में वह सजा काट रहे है। और अब वे जगतार सिंह हवारा से संबंधित सभी केसों के फैसले इकट्ठे करके जेल आर्थारिटी के पास पहुंचकर हवारा के लिए मानव अधिकारों  को  लेकर पेरोल के  लिए अपील करेंगे। मझपुर ने यह भी बताया कि अब आखिरी केस में अंडर ट्रायल के चलते पे रोल के लिए अपील नहीं कर सकते थे, अब आखिरी फैसला भी आ चूका है और कोई भी केस अंडर ट्रायल नहीं बचा।
पे-रोल का रास्ता आसान हो चूका है। इससे पूर्व, जगतार सिंह हवारा को आरडीएक्स व एके 56 बरामदी के मामले में भी कोर्ट  ने बरी कर दिया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुण वीर विशिष्ट की कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से यह फैसला सुनाया था। फैसला गत माह 22 नवंबर को सुनाया गया था। पुलिस इस मामले में भी जगतार सिंह हवारा के खिलाफ कोई भी सुबूत पेश नहीं कर पाई। दिसंबर 1995 में पुलिस ने कथित तौर पर कुन्दनपुरी  इलाके में आरडीएक्स और एके 56 बरामद की थी। पुलिस ने इसके लिए जगतार सिंह हवारा को दोषी ठहराया था। कोर्ट में यह मामला 24 साल चला। कोतवाली पुलिस थाना जगतार सिंह हवारा के खिलाफ मामला 1995 में दर्ज किया गया था।
आज लुधियाना में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अतुल कसना की अदालत ने वर्ष 1995 में घंटाघर चौक के  पास हुए बम ब्लास्ट मामले में जगतार सिंह हवारा को बरी कर  दिया है। सरकारी  पक्ष ने 23 गवाह पेश करवाए , लेकिन किसी ने भी हवारा की  वारदात के  समय शिनाख्त नहीं की। जब यह बम ब्लास्ट हुआ था, तब पंजाब में आतंकवाद का दौर था। मामले में जगतार सिंह हवारा को  आरोपित बनाया गया। 
एडवोकेट जसपाल सिंह का कहना था कि आरडीएक्स और एके 56 बरामदी के मामले में पुलिस जगतार सिंह के खिलाफ कोई भी ठोस सुबूत पेश नहीं कर पाई। इस फैसले के बाद जगतार सिंह हवारा को जेल से रिहा नहीं किया जाएगा, क्योंकि उसके खिलाफ कोर्ट में कई अन्य मामले भी चल रहे हैं। इससे पहले जुलाई 2016 में रूपनगर की अदालत ने भी बहुचर्चित बाबा भनियारांवाले के डेरे के बाहर बम धमाका  करने  के मामले में जगतार सिंह हवारा को बरी कर  दिया था। इस मामले में हवारा के खिलाफ दस जनवरी 2005 में जिला रूपनगर के नूरपुरबेदी में बहुचर्चित बाबा प्यारा सिंह भनियारांवाले के डेरे के गेट पर बम ब्लास्ट करने  के आरोप में केस दर्ज हुआ था।
-सुनीलराय कामरेड