पंजाब में 13 हजार से अधिक पंचायतों को भंग करने के आदेश के बाद राज्य सरकार ने अपनी अधिसूचना वापस लेने का निर्णय लिया है। इसके बाद, दो आईएएस (IAS)अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। एक अधिकारी का नाम डी.के. तिवारी वहीं दूसरे का नाम गुरप्रीत सिंह खैरा बताया जा रहा है।
सरकार ने नवंबर में होने वाले नागरिक निकाय चुनावों के साथ राज्य में 13 हजार से अधिक पंचायतों को भंग कर दिया था। इस पर विपक्षी शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने सरकार से सवाल किया कि केवल अधिकारियों के खिलाफ ही कार्रवाई क्यों की गई है और मंत्री को छोड़ दिया गया है।
ग्यारह रिट (writ) याचिकाएं दायर की गईं जिसमें पंचायत के प्रतिनिधियों द्वारा इसे भंग करने के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कोर्ट के सामने आए। कोर्ट ने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि ग्राम पंचायतें संवैधानिक प्रावधान के मुताबिक काम नहीं कर रही हैं। और अधिकारियों द्वारा इसका पालन नहीं किया गया। मुख्य न्यायाधीश रवि शंकर झा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष उपस्थित होकर महाधिवक्ता विनोद घई ने बताया कि एक-दो दिनों में पंचायतों को भंग करने की अधिसूचना वापस ले ली जायेगी।
सरकार के प्रवक्ता ने इसके बारे में बताया कि मुख्यमंत्री और मंत्री ने केवल वही मंजूरी दी, जो अधिकारियों ने फाइल पर रखी थी। अधिकारियों द्वारा इसका पालन नहीं किया गया। वे अधिकारियों के कार्यों के लिए कैसे जिम्मेदार हो सकते हैं?