भारत ने भले ही अपनी टीम के लगभग सभी पहलुओं को मजबूत कर लिया हो, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में रोहित शर्मा की गैरमौजूदगी टीम के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। रोहित अभी तक ऑस्ट्रेलिया नहीं पहुंचे हैं और पर्थ में होने वाले पहले टेस्ट से बाहर हैं क्योंकि वह पैटरनिटी लीव पर हैं। उनकी अनुपस्थिति में जसप्रीत बुमराह टीम की कप्तानी संभालेंगे। हालांकि, सीरीज़ के दूसरे टेस्ट में एडिलेड पहुंचने के बाद रोहित फिर से कप्तानी की भूमिका निभाएंगे।
1983 वर्ल्ड कप विजेता किर्ति आजाद का मानना है कि रोहित का न होना भारतीय टीम के लिए एक बड़ी कमी है, भले ही टीम के पास मजबूत बल्लेबाजी लाइनअप हो।
जसप्रीत बुमराह पर बढ़ा दबाव
बुमराह की कप्तानी क्षमताओं पर कोई शक नहीं है, लेकिन उन्होंने अब तक केवल तीन बार भारत की कप्तानी की है – एक बार टेस्ट में और दो बार टी20 में। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ बर्मिंघम में पांचवां टेस्ट मैच कप्तान के तौर पर खेला था, जिसमें भारत को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट की चुनौती कहीं ज्यादा कठिन है। बुमराह को प्लेइंग XI फाइनल करने, हर मिनट के सामरिक निर्णय लेने और खुद गेंदबाजी आक्रमण की अगुवाई करने जैसे कई बड़े फैसले लेने होंगे।
किर्ति आजाद ने कहा, “एक खिलाड़ी के होने या न होने से टीम कमजोर या मजबूत नहीं होती। लेकिन रोहित, जो कप्तान हैं और आगे बढ़कर टीम को लीड करते हैं, उनकी कमी महसूस होगी। वह टीम के लिए सबसे अहम कड़ी हैं। यह चिंता का विषय है। लेकिन क्रिकेट में कोई भी खिलाड़ी अनिवार्य नहीं होता। उम्मीद है कि रोहित जल्दी वापसी करेंगे।”
क्या बुमराह कपिल देव की तरह कप्तानी कर पाएंगे?
बुमराह जब दो साल पहले एजबेस्टन में भारत के लिए टेस्ट कप्तानी करने वाले पहले तेज गेंदबाज बने, तो उनकी तुलना कपिल देव से की गई थी। अब पर्थ के ऑप्टस स्टेडियम में एक बार फिर उनसे कपिल जैसी कप्तानी और प्रदर्शन की उम्मीद होगी।
एजबेस्टन टेस्ट में बुमराह ने 3/68 और 2/74 के आंकड़े दर्ज किए थे और स्टुअर्ट ब्रॉड के खिलाफ एक ओवर में 35 रन बनाए थे, जो टेस्ट क्रिकेट का सबसे महंगा ओवर था। इस बार टीम को उनसे गेंदबाजी में और भी अधिक योगदान की उम्मीद होगी।
किर्ति आजाद ने कहा, “मैंने कपिल देव के साथ खेला है, जो दुनिया के सबसे बेहतरीन ऑलराउंडर में से एक थे। कप्तानी का उनके प्रदर्शन पर कभी असर नहीं पड़ा। यह पूरी तरह परिस्थितियों पर निर्भर करता है। अगर आपकी टीम अच्छा खेलती है और आपके फैसले सही साबित होते हैं, तो आप अच्छे कप्तान हैं। अगर ऐसा नहीं होता, तो आलोचना होती है।”
अब देखना होगा कि जसप्रीत बुमराह इस चुनौती का कैसे सामना करते हैं और भारतीय टीम को मजबूत शुरुआत दिलाने में कितने सफल होते हैं।