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मोबाइल उपयोगकर्ताओं की बढ़ी टेंशन, 1 नवंबर से बैंक ओटीपी विफलता का करना पड़ेगा सामना

TRAI ने कुछ नए नियम बनाए है, जिसके कारण टेलीकॉम कंपनियों को ऐसे मैसेज को ब्लॉक करना होगा जो उनके हिसाब से स्पैम है। इसकी वजह से कई लोगो तक बैंक OTP और कई अलर्टस पहुंचने में दिक्कत आ सकती है।

Aastha Paswan

कब से करना पड़ सकता है इस दिक्कत का सामना ?

नवंबर की शुरुआत भारत में लाखों मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए दिक्कत का कारण बन सकती है, क्योंकि ऐसा हो सकता है की उनके बैंक ओटीपी और डिलीवरी ओटीपी उन तक न पहुंचे । आप तो ये जानते ही है की बिना ओटीपी के आप कोई भी पेमेंट नहीं कर सकते हैं या अपनी ऑनलाइन डिलीवरी नहीं ले सकते हैं। जो लोग ऑनलाइन हर चीज़ के लिए निर्भर है उनके लिए ये बहुत ही परेशानी की बात होने वाली है।

नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 31 अक्टूबर के बाद, मोबाइल ऑपरेटरों को TRAI की नई स्पैम नीति के चलते किसी भी थर्ड पार्टी के मैसेज को लोगों तक पहुंचाने में परेशानी हो सकती है।

एसएमएस ब्लॉक होंगे लेकिन क्यों?

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया था कि ट्राई के नए स्पैम नियमों के तहत टेलीकॉम कंपनियों को ऐसी कंपनियों को रजिस्टर करना होगा जो ओटीपी और महत्वपूर्ण जानकारी देती हैं। साथ ही उन्हें ऐसे किसी भी एसएमएस को ब्लॉक करना होगा जो URL और एंड्रॉइड ऐप APK फाइलों के साथ आता है क्यूंकि वो मैलवेयर का खतरा हो सकता है। देश में कई लोग ऐसे एसएमएस के जाल में फंस गए हैं, जो अनजाने में इन लिंक पर क्लिक कर देते हैं और हैकर्स को अपने डिवाइस तक पहुंचने और पैसे और अन्य निजी जानकारी चुराने के लिए डाटा का उपयोग करने में सक्षम बनाते हैं।

क्या स्पैम का खतरा खत्म?

टेलीकॉम कंपनियों को उन्हें एक नया मैसेज टेम्प्लेट देना होगा जो आसानी से पढ़ा जा सके और यही एकमात्र तरीका है जिससे ये एसएमएस कड़ी जांच से गुजरेंगे। इसमें URL और फ़ोन नंबर भी शामिल हैं जो कुछ सेवाओं में जोड़े गए हैं, और अगर वो TRAI ने व्हिटलिस्ट नहीं किया होगा , तो वो मैसेज नेटवर्क द्वारा ब्लॉक कर दिए जाएगा ।

ये हेडर आमतौर पर एसएमएस के सबसे ऊपर दिखाई देते हैं जैसे कि बैंकों, पेमेंट ऑपरेटरों और यहां तक ​​कि ज़ोमैटो या उबर जैसी कंपनियों के लिए भी काम आती है । मैसेज को एक विश्वसनीय टेक्नोलॉजी का उपयोग करके पढ़ा जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी व्यावसायिक संदेश न जाए जो आम लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है।

टेलीकॉम कंपनियों ने कई एक्सटेंशन मांगे हैं जो पहले ही ट्राई द्वारा दिए जा चुके हैं, लेकिन नयी रिपोर्टों का दावा है कि कई कंपनियों ने अभी भी नए नियमों का पूरी तरह से पालन नहीं किया है। यदि पूरी तरह से अपनाया नहीं गया तो व्हिटलिस्ट करना एक मुश्किल काम बन सकता है, इसलिए अगर नवंबर में रोल आउट होता है तो यह लाखों फोन उपयोगकर्ताओं के लिए समस्या पैदा करने के बजाय , 2025 की शुरुआत में आगे बढ़ सकता है।