वित्त मंत्री अरूण जेटली ने शुक्रवार को दावा किया कि मौजूदा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के लिए मुकाबला ''एकतरफा'' हो गया है। इसके साथ ही उन्होंने भरोसा जताया कि ''मोदी जनादेश'' 2014 से भी बड़ा हो सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि आम चुनाव के नतीजों में सिर्फ 13 दिन ही बचे हैं और पारंपरिक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने इस उम्मीद पर ''खुलेआम या गुप्त बातचीत'' शुरू कर दी है कि भारतीय मतदाता बुद्धिमान नहीं है और वे अनिर्णायक फैसला देंगे।
जेटली ने कहा, ''प्रधानमंत्री मुकाबला लगभग एकतरफा हो गया है… मतदाता स्पष्ट हैं कि वह पांच साल की सरकार चाहते हैं, न कि पांच महीने की। इस प्रकार उसके सामने ''मोदी बनाम अराजकता'' का विकल्प है। जाहिर है कि मतदाताओं के विवेक पर भरोसा करना पड़ेगा। 'मोदी जनादेश' 2014 से भी बड़ा हो सकता है।''
2014 के आम चुनाव में भाजपा ने 282 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल किया था जबकि कांग्रेस को केवल 44 सीटें मिली थीं।
जेटली ने ''दि होप्स ऑफ द लूजर्स (पराजितों की उम्मीदें)'' नामक एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, '' पारंपरिक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने खुले या गुप्त रूप से बातचीत शुरू कर दी है। उनकी सबसे बड़ी उम्मीद यही है कि भारतीय मतदाता न तो समझदार है और न ही बुद्धिमान। इसलिए वह एक अनिर्णायक निर्णय देगा। 23 मई 2019 को यह धारणा पूरी तरह से गलत साबित होगी।''
जेटली ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस को दो अंकों की पार्टी में बदल दिया है और उनकी पार्टी के लोगों को पूरी उम्मीद है कि वे 2019 में दोहरे अंक की सीमा को तोड़ सकते हैं।
उन्होंने कहा, ''उनकी महत्वाकांक्षा का स्तर निराशाजनक रूप से अपर्याप्त है। मायावती चुनौती देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। ममता बनर्जी और चंद्रबाबू नायडू का मानना है कि वे विपक्ष के सूत्रधार हैं। केसीआर का सपना गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेस पार्टियों के गठबंधन का है।'' जेटली ने कहा कि किसी भी क्षेत्रीय दल के नेता जमीन पर के वास्तविक रुझान को समझ नहीं पा रहे हैं।