पूरे देश में पटाखे बनाने, बेचने और जलाने पर प्रतिबंध को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज (मंगलवार) फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि पूर्ण प्रतिबंध नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने शर्त के साथ पटाखे बेचने और जलाने की अनुमति दी। प्रदूषण की वजह से पटाखों की बिक्री पर बैन लगाने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश जारी किए हैं जिसमें कम एमिशन वाले पटाखों को ही इजाजत मिली है और सिर्फ लाइसेंसधारी वाले ही पटाखे बेचे जा सकेंगे. इसके साथ ही ऑनलाइन पटाखों की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई है। कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन बेचने पर अवमानना माना जाएगा।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा, पटाखों की बिक्री से जुड़े ये निर्देश सभी त्योहारों तथा शादियों पर भी लागू होंगे। दीवाली के अवसर पर पटाखे रात को 8 बजे से 10 बजे के बीच ही चलाए जा सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, यह समयसीमा पूरे देश पर लागू होगी. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, इस आदेश पर अमल करने के लिए हर इलाके का SHO जवाबदेह होगा, और अगर आदेश का पालन नहीं हुआ, तो SHO को निजी तौर पर कोर्ट की अवमानना का दोषी माना जाएगा।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने देशभर में पटाखों की बिक्री पर बैन का विरोध किया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा-पटाखों के उत्पादन को लेकर नियम बनाना बेहतर कदम है। एल्युमिनियम और बेरियम जैसी सामग्री का इस्तेमाल रोकना सही होगा। तमिलनाडु सरकार, पटाखा उत्पादकों और विक्रेताओं ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- बिना किसी ठोस वैज्ञानिक रिसर्च के कोर्ट ने पिछले साल दिल्ली में पटाखों की बिक्री रोक दी थी। इससे लाखों लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ। प्रदूषण के लिए पटाखों से ज्यादा कई अन्य चीजें जिम्मेदार हैं.।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि प्रतिबंध से जुड़ी याचिका पर विचार करते समय पटाखा उत्पादकों के आजीविका के मौलिक अधिकार और देश के 1.3 अरब लोगों के स्वास्थ्य अधिकार समेत विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) सभी वर्ग के लोगों पर लागू होता है और पटाखों पर देशव्यापी प्रतिबंध पर विचार करते समय संतुलन बरकरार रखने की जरूरत है।
कोर्ट ने केंद्र से प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए उपाय सुझाने और यह बताने को कहा था कि पटाखे पर प्रतिबंध लगाने से व्यापक रूप से जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?