Delhi: दिल्ली में आज नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक होगी। पीएम मोदी इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए विकसित भारत@2047 दस्तावेज पर चर्चा की जाएगी। साथ ही 27 से 29 दिसंबर, 2023 के दौरान आयोजित मुख्य सचिवों के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन की सिफारिशों पर चर्चा की जाएगी। नीति आयोग की बैठक में पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा, भूमि और संपत्ति, डिलिटलीकरण, रजिस्ट्रेशन और म्यूटेशन के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी।
नीति आयोग ने बैठक से पहले अपने प्रेस रिलीज में कहा, बारत 5 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है और 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य को हासिल करेगा. नीति आयोग ने कहा, 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच सहयोगात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी. 9वें नीति आयोग के गवर्निंग काउंसिल की बैठक में इस विजन पर चर्चा होगी साथ केंद्र और राज्य टीम इंडिया के तौर पर कैसे कार्य करें इसपर चर्चा की जाएगी.
कई नेता बैठक में नही होंगे शामिल
इस बैठक में कई बड़े नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है। वहीं, गैर-बीजेपी शासित राज्यों और विपक्षी दलों ने इस मीटिंग का बहिष्कार किया है। लेकिन इस बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शामिल होने की उम्मीद है। ममता बनर्जी ने यह दावा किया है कि उनके साथ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी नीति आयोग की बैठक का हिस्सा बनेंगे। लेकिन वहीं तेलंगान के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, पंजाब के सीएम भगवंत मान, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सहित कई नेता मीटिंग में नहीं शामिल होने का फैसला किया है।
नीति आयोग की बैठक में विपक्ष के शामिल न होने पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक की अन्य पार्टियां निजी हित को प्राथमिकता दे रही हैं। बहिष्कार की यह राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण है और वह भी नीति आयोग जैसे मंच का, जो गैर-राजनीतिक है।
बहिष्कार को लेकर पीयूष गोयल ने कहा-
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, विपक्ष ने एक बार फिर भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के बारे में अपनी घटिया सोच दिखाई है। कुछ राजनीतिक दल इस बैठक का बहिष्कार करने के बारे में सोच रहे हैं। इससे पता चलता है कि उनकी व्यक्तिगत राजनीति देश पर किस तरह हावी है। कभी-कभी मुझे लगता है कि वे जनसेवा से ज्यादा महत्व प्रचार को देते हैं।
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