कोविड के दौरान बहुत से लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, उस दौरान न जाने कितने ही बच्चे भी अनाथ हो गए थे। इसी तरह के एक मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक अनाथ अनाथ होता है, भले ही उसके माता-पिता की मृत्यु कैसे भी हुई हो। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या पीएम केयर्स फंड सहित योजनाओं का लाभ देने का कोई तरीका है, जो कि कोविड के दौरान अनाथ हुए बच्चों समेत अन्य बच्चों को भी दिया जा सके।
बहुत से लोगों ने अपनी जान गंवाई
कोविड के दौरान बहुत से लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, उस दौरान न जाने कितने ही बच्चे भी अनाथ हो गए थे। इसी तरह के एक मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक अनाथ अनाथ होता है, भले ही उसके माता-पिता की मृत्यु कैसे भी हुई हो। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या पीएम केयर्स फंड सहित योजनाओं का लाभ देने का कोई तरीका है, जो कि कोविड के दौरान अनाथ हुए बच्चों समेत अन्य बच्चों को भी दिया जा सके।
अनाथ बच्चों के लिए बिल्कुल सही नीति
पीठ ने केंद्र से कहा, "आपने अनाथ बच्चों के लिए बिल्कुल सही नीति बनाई है, जिनके माता-पिता की कोविड के कारण मृत्यु हो गई थी। लेकिन एक अनाथ हमेशा अनाथ ही रहता है, भले ही उसके माता-पिता की मृत्यु किसी दुर्घटना या बीमारी में हुई हो। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल बनर्जी से कहा, "आप यह निर्देश लेकर आएं कि क्या कोविड -19 महामारी के दौरान अनाथ बच्चों के लिए बनाई गई पीएम केयर्स फंड सहित योजनाओं का लाभ अनाथ बच्चों को दिया जा सकता है।" एएसजी ने कहा कि उन्हें हाल ही में इस मामले में पेश होने के लिए एक ब्रीफ दिया गया था और वह चार सप्ताह के समय में अदालत के सवाल का जवाब देंगे। याचिकाकर्ता पॉलोमी पाविनी शुक्ला ने कहा कि महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत लाभ प्रदान किया गया था और अदालत के निर्देश पर अन्य अनाथ बच्चों को भी इसी तरह का लाभ दिया जा सकता है।