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SC-ST में लागू होगा क्रीमी लेयर, SC ने खारिज किया केंद्र का आग्रह

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि क्रीम लेयर की अवधारणा एससी- एसटी को दिए जाने वाले आरक्षण में लागू होगी। संविधान पीठ ने बुधवार को दिए फैसले में

Desk Team

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि क्रीम लेयर की अवधारणा एससी- एसटी को दिए जाने वाले आरक्षण में लागू होगी। संविधान पीठ ने बुधवार को दिए फैसले में कहा कि संवैधानिक कोर्ट किसी भी क्रीमी लेयर को दिए गए आरक्षण को रद्द करने के लिए सक्षम है।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा कि एससी-एसटी सबसे पिछड़े समाज के हैं और उन्हें पिछड़ा माना जा सकता है।

चीफ जस्टिस मिश्रा, जस्टिस कुरियन जोसफ, जस्टिस रोहिंटन एफ नरीमन, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की पीठ ने यह भी कहा कि संवैधानिक कोर्ट के पास सबसे पिछड़े वर्ग में क्रीमीलेयर के लिए किसी भी तरह के आरक्षण को खत्म करने की ताकत है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी के प्रोमोशन में आरक्षण पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र और राज्यों की सरकार को अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को पदोन्नति में आरक्षण देने को हरी झंडी दे दी है लेकिन साथ ही ओबीसी आरक्षण की ही तरह एससी-एसटी के क्रीमी लेयर को प्रोमोशन में आरक्षण का फायदा देने से मना कर दिया है।

2006 में सुप्रीम कोर्ट ने चर्चित नागराज फैसले में कहा था कि सरकार अगर प्रोमोशन में आरक्षण देती है तो उसे एससी-एसटी के पिछड़ेपन, सरकारी नौकरी में प्रोमोशन में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक क्षमता का डाटा देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसमें पहली शर्त को हटा दिया है जबकि बाकी दो शर्तों को बरकरार रखा है।

कोर्ट ने कहा कि जब वह एससी एसटी में क्रीमी लेयर का मामला लागू करता है तो वह अनुच्छेद 341 तथा 342 के तहत राष्ट्रपति द्वारा जारी एससी-एसटी की सूची में छेड़छाड़ नहीं करता। इस सूची में जाति और उपजाति पहले की तरह बने रहते हैं। इससे सिर्फ वहीं लोग प्रभावित होते हैं जो क्रीमी लेयर के कारण छुआछूत और पिछड़ेपन से बाहर निकल आए हैं और जिन्हें आरक्षण से बाहर रखा गया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार का यह आग्रह खारिज कर दिया कि एससी-एसटी में क्रीमी लेयर के मामले को खत्म कर दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि क्रीमी लेयर को एससी-एसटी प्रोमोशन में आरक्षण का लाभ देना समानता के अधिकार के खिलाफ होगा। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरक्षण देने का मकसद यही है कि पिछड़े वर्ग के नागरिक आगे बढ़ें और समान तरीके से अन्य नागरिकों के हाथ में हाथ डालकर चल सकें। अगर उस वर्ग के क्रीमी लेयर वाले ही सरकारी सेक्टर के सारे अहम पदों पर कब्जा जमा लेंगे तो ये संभव नहीं होगा और उस वर्ग के पिछड़े लोग पिछड़ा ही रह जाएंगे। ये वो लोग हैं जो क्रीमी लेयर में आकर छुआछूत और पिछड़ेपन से बाहर निकल चुके हैं और जिनको आरक्षण का फायदा नहीं दिया जाए।