वेद पुराणों में देवलोक के तौर पर प्रचलित काशी अब विश्व में संस्कृत नगरी के रूप में भी जानी जाएगी। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक संस्कृत विद्यालय वाराणसी में संचालित हो रहे हैं। यहां पर संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों की संख्या भी सबसे अधिक है।
आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को बताया कि वाराणसी में 110 से अधिक संस्कृत स्कूल संचालित किए जा रहे है। नए सत्र से संस्कृत के दो स्कूल इसमें और शामिल हो जाएंगे। वहीं, प्रदेश भर में 13 संस्कृत के नए स्कूल खुलेंगे। काशी के बाद जौनपुर में संस्कृत के सबसे अधिक स्कूल है।
उन्होने बताया कि संस्कृत भाषा के विस्तार और उसे अलग पहचान दिलाने के लिए प्रदेश की योगी सरकार जल्दी माध्यमिक व बेसिक शिक्षा की तर्ज पर संस्कृत निदेशालय बनाने जा रही है। इसकी घोषणा भी मुख्यमंत्री ने अपने बजट में की थी। निदेशालय बनने के बाद संस्कृत भाषा को नई पहचान मिल सकेगी।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश में पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संस्कृत में प्रेस विज्ञाप्ति जारी करने काम किया है। साथ में अपने अधिकारिक ट्विटर एकाउंट से संस्कृत में ट्विटर भी किए हैं। संस्कृत बोर्ड ने भी प्रदेश में संस्कृत भाषा को बढ़वा देने के काम शुरू कर दिया है। अधिकारियों के माने तो इस बार प्रदेश में संस्कृत के 13 नए विद्यालयों को मान्यता देने की तैयारी है।
इन स्कूलों ने अपने निर्धारित मानकों को पूरा कर लिया है। इसमें काशी में दो और नए विद्यालय खुलेंगे। उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की ओर से प्रदेश में संस्कृत के कुल 1164 विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। इसमें से 971 विद्यालय अनुदानित है जबकि दो संस्कृत भाषा के राजकीय विद्यालय है। इनमें 97 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं। नए सत्र में इनमें 13 विद्यालय और जुड़ जाएंगे।
संस्कृत विद्यालयों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने के लिए इनमें कम्पयूटर शिक्षा के साथ कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों को एनसीईआरटी की किताबों से पढ़या जा रहा है। यही नहीं योगी सरकार ने प्रदेश के 200 से अधिक गुरुकुल पद्धति के संस्कृत विद्यालयों के 4 हजार से अधिक छात्रों को नि:शुल्क भोजन व छात्रावास की सुविधा देने का फैसला भी किया है।