जितने भी लोग कॉर्पोरेट जॉब करते है उनके लिए शुक्रवार का दिन सबसे बेस्ट होता है क्योंकि इसके बाद उन्हें दो दिन की छुट्टी मिल जाती है। इसके बाद वे दो दिन आराम करते है, मजे करते है, पार्टी करते है या कभी-कभी घूमने निकल जाते है। लेकिन कॉर्पोरेट वर्कर्स का मूड तब ऑफ हो जाता है जब संडे के बाद सोमवार आता है। सोमवार किसी भी कॉर्पोरेट एम्प्लॉई के लिए नाइटमेयर से कम नहीं है क्योंकि उन्हें अब दोबारा से पांच-छह दिन ऑफिस जाकर काम करने में बिताना होगा। है।
इसके अलावा उन लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत आती है, जो पूरे वीकेंड मजे करते है और सोमवार को उनके शरीर में बिल्कुल भी ताकत नहीं बचती और वे सुस्त महसूस करते है। तो आप सोमवार को सुस्त महसूस न करे उसके लिए हम आपको कुछ ऐसी टिप्स बताने वाले है, जिसे सुनने के बाद आप सोमवार को नापसंद करना शायद थोड़ा कम कर दें।
जैसे ही वीकेंड आता है हम सोचते है कि अब हम जमकर पार्टी करेंगे और अपने दोस्तों से मिलेंगे। इसके बाद हम देखते ही देखते अपनी दोनों छुट्टियां मजे करने में बिता देते है। लेकिन अगर आप भी ऐसा करते है तो इसे करना थोड़ा कम कर दीजिए। आप अपने दोनों दिन मजे करने के बजाए शुक्रवार की रात और शनिवार का पूरा दिन चुन सकते है। इसके बाद आप रविवार को आराम करें, कसरत करें क्योंकि साफ़ दिमाग के साथ सोमवार आराम से बिताना बहुत आसान हो जाएगा।
जैसे ही छुट्टी आती है, हम अपना प्लान तैयार कर लेते है कि हम आराम से सोकर उठेंगे क्योंकि हमे ऑफिस नहीं जाना है। लेकिन ऐसा करने से आपका शेड्यूल बिगड़ सकता है। पूरे सप्ताह नियमित नींद का शेड्यूल रखने से आपको आराम और सक्रिय महसूस करने में मदद मिल सकती है। हालांकि हम जानते है आपको दोपहर तक सोना पसंद है लेकिन आप सोमवार को 6 बजे उठते है तो 1 घंटा बाद तक उठ जाना ही बेस्ट ऑप्शन है।
कई रिचर्स में सामने आया है कि अधिकतर लोग अपने काम को करने के लिए वीकेंड पर करने के लिए निर्भर रहते है। वे सोचते है कि उन्हें कुछ भी काम करना है तो वे शनिवार या रविवार को करेंगे। सरल भाषा में कहा जाएं तो ये लोग वीकेंड पर ही खुश रहते है जबकि पूरे हफ्ते वे तनावग्रस्त होकर गुजार देते है। इसलिए जरूरी है कि आप सोमवार को भी खुशनुमा बना दीजिए। ऐसा हो सकता है कि आप दोपहर का समय बाहर पढ़ने में बिता रहे हैं या काम के बाद किसी दोस्त के साथ रात का खाना खा रहे हैं।
देखने वाली बात है कि जैसे ही वीकेंड आता है, हम अपने ऊपर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते है। हम अक्सर वीकेंड में अपने सभी सामान्य खाने, सोने और व्यायाम की आदतों को पीछे छोड़ देते हैं। इसका मतलब ये नहीं है कि आप वीकेंड में खुद को थोड़ा आराम नहीं दे सकते लेकिन एक संतुलन खोजने की कोशिश करें, ताकि आप पटरी से न उतरें।
एक और टिप ये है कि जब आप अगले दिन की चिंताओं के बारे में बहुत ज्याद सोच रहे हों, तो उन्हें लिखने से आपको शांत और बहुत अच्छा महसूस होगा। वहीं, जैसे ही आप लिखना शुरू करें, अपने आप से पूछें: मैं असल में कौन सी भावनाएँ महसूस कर रहा हूँ? सोमवार के विचार से ही ये मुझे तनाव क्यों होता हैं? चिंता दूर करने के लिए मैं क्या कदम उठा सकता हूँ?
वहीं, कभी-कभी सोमवार की उदासी इस बात का संकेत हो सकती है कि आप अपनी नौकरी से खुश नहीं हैं। यदि आप सोमवार से शुक्रवार तक जो करते हैं वह आपको पसंद नहीं है, तो वीकेंड को पीछे छोड़ना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी परेशानियों को पहचानने की कोशिश करें और अगर आपको लगता है तो इसमें काम करने की जरूरत है तो बदलाव करने का समय आ गया है।