छठ पूजा उत्तर भारत में, विशेष रूप से बिहार में, (Chhath Pooja 2024) बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। इस अवसर पर लाखों लोग अपने घरों की ओर लौटते हैं, जिससे ट्रेनों में भीड़ बहुत अधिक हो जाती है। हालांकि, रेलवे इस भीड़ को संभालने के लिए कई स्पेशल ट्रेनें चलाता है, लेकिन फिर भी यात्रियों को बैठने और सोने की समस्या बनी रहती है। इस बीच, सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, (Chhath Pooja 2024) जिसमें एक व्यक्ति बोगी के अंदर ‘खटिया’ बीनते हुए दिखाई दे रहा है, ताकि वह आराम से सो सके। इस 14 सेकंड की क्लिप ने लोगों को खासा प्रभावित किया है और अब इस पर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
जुगाड़ में भारतीयों का मुकाबला नहीं
यह वीडियो इस बात का सटीक उदाहरण है कि जुगाड़ के मामले में भारतीयों का कोई मुकाबला नहीं है। वीडियो में एक व्यक्ति को यह दिखाया गया है कि वह दो अपर सीटों के बीच रस्सी से खाट जैसा आरामदायक स्थान बना रहा है, (Chhath Pooja 2024) ताकि वह आराम से सो सके। यह वीडियो भारतीय जुगाड़ की एक और अद्भुत मिसाल है, (Chhath Pooja 2024) जो साबित करता है कि हमारी क्रिएटिविटी और संकटों से निपटने की क्षमता अनमोल है।
लोगों ने ऐसे किया रिएक्ट
Source: @MANJULtoons (x)
यह वीडियो @MANJULtoons नाम के एक्स हैंडल से शेयर किया गया है, और अब यह तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो के साथ यूजर ने कैप्शन में लिखा है, "मिनिस्टर साहब ने 7 हजार ट्रेनें चलवा दी हैं, (Chhath Pooja 2024) और होनहार यात्रियों ने देखिए किस तरह बर्थ की संख्या बढ़ा दी है। अब कोई समस्या नहीं है।" यह वीडियो कुछ ही सेकंड्स का है, (Chhath Pooja 2024) लेकिन अब तक इसे लाखों बार देखा जा चुका है, और पोस्ट पर लोग लगातार मजेदार और दिलचस्प कमेंट्स कर रहे हैं। एक यूजर ने जनरल बोगी की एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, "उड़न खटोला के बाद भारतीय जनता द्वारा ट्रेन में चारपाई का शुभारंभ किया गया।" एक अन्य यूजर ने इस स्थिति पर चुटकी लेते हुए कहा, "शर्मनाक! जिनकी जिम्मेदारी थी पर्याप्त व्यवस्था करने की, वे तो रील बनाने में बिजी हैं।" वहीं एक और यूजर ने मजाक करते हुए लिखा, "हमारे देश के रेल यात्री सिर्फ तेजस्वी ही नहीं, बल्कि काफी क्रिएटिव और जुझारू भी हैं।" एक और यूजर ने मजाकिया लहजे में लिखा, "जल्दी से पेटेंट करा लो, वरना चीनी ये जुगाड़ भी हथिया लेंगे!" जबकि एक अन्य यूजर ने चुटकी लेते हुए कहा, "आत्मनिर्भर रेल यात्री।"