आजकल लोगों का लिव-इन रिलेशनशिप में रहना काफी आम बात है। बिना शादी किए, प्रेमी जोड़े एक ही छत के नीचे रहते हैं। हालाँकि, छोटे शहर और गाँव इस प्रथा को आज भी बुरी नजर से ही देखते हैं।
हालाँकि, क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ जनजातियाँ ऐसी हैं जहाँ लिव-इन रिलेशनशिप (Indian Tribes Live-in Relationship) में रहना शहरों की तुलना में अधिक आम है और यहां पर ऐसा करने के लिए लोगों और भी ज्यादा मोटीवेट किया जाता है? आइए आपको इनमें से कुछ जनजातियों के बारे में आज बताते हैं।
छत्तीसगढ़ के बस्तर में रहने वाली मुरिया जनजाति (Muria tribe live-in relationship) के रीति-रिवाज लोगों को काफी अजीब लगते हैं, लेकिन वे सदियों से इन्हें निभाते आ रहे हैं। इस जनजाति में युवक-युवतियों को एक साथ लिव-इन में रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और वे अपना साथी चुनने के लिए स्वतंत्र होते हैं। इन लोगों की एक परंपरा है जिसे घोटुल (Ghotul) के नाम से जाना जाता है। इस परंपरा के अनुसार लड़के-लड़कियां बांस या मिट्टी से बनी झोपड़ी में जा सकते हैं, जहां वे नाच-गा सकते हैं। इसकी तुलना किसी शहर के क्लब डिस्को से की जा सकती है। इस घोटुल में लड़के और लड़कियाँ अपने-अपने पार्टनर चुनते हैं। जो लड़कियाँ लड़कों को पसंद करती हैं वे अक्सर उनकी बनाई बाँस की कंघी चुरा लेती हैं। लड़के के साथ एक झोपड़ी शेयर करने के साथ वह उसके प्रति अपने प्यार का इज़हार करती है, और वे दोनों एक-दूसरे को बेहतर तरीके से जानने लगते हैं। उनके परिवार बाद में उनकी शादी को मंजूरी दे देते हैं।
भारत के पश्चिमी क्षेत्र मतलब कि गुजरात और राजस्थान में गरासिया जनजाति (Garasia tribe live-in relationship) के लोगों को रहते हुए देखा गया है। इस क्षेत्र में भी लिव-इन रिलेशनशिप आम है। इसके अलावा, इस जनजाति में महिलाओं को शादी से बाहर भी दूसरे पुरुषों के साथ बातचीत करने और संबंध बनाने की अनुमति है। वह अपनी शादी के फैसले भी खुद लेती है। इस जनजाति के सदस्य एक मेला आयोजित करते हैं जहां वे अपनी पसंद का साथी चुन सकते हैं और एक साथ भाग जाते हैं। फिर वे गाँव लौट आते हैं और वहाँ लिव-इन जोड़े के रूप में रहते हैं।
30-40 सालों तक झारखंड स्थित मुंडा-कोरवा जनजाति (Munda-Korwa tribe) के जोड़े एक साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं। बिना शादी किए एक साथ रहने पर पुरुष को ढुकुआ और महिला को ढुकुनी के नाम से जाना जाता है। इनके इस विवाह को ढुकु विवाह का नाम दिया गया है। इन आदिवासी सदस्यों के पास शादियों या अन्य संबंधित समारोहों को सेलिब्रेट करने के लिए इतने पैसे नहीं होते है, इसलिए वे लिव-इन में रहते हैं।
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