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क्या Connaught Place का नाम सिर्फ कनॉट प्लेस ही हैं? क्या आपको पता हैं इसका नया नाम? जानें इसके पीछे के अनोखे रहस्य

ब्रिटिश शासन के भारत पर राज़ करने के समय यह प्यारा स्थान बनाया गया था जो अब तक यहां पर कनॉट प्लेस (Connaught Place) के नाम से मशहूर हैं और हर दिल्लीवासी के दिल में बसता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका नाम बदल गया था, और वह भी आज-कल में नहीं बल्कि 28 साल पहले? हमें आज आपको इस पेचीदा सवाल के बारे में बताएंगे कि इसके नाम के बदलने के पीछे क्या वजह हैं?

Desk Team
दिल्ली के "दिल की धड़कन"  के नाम से फेमस हैं "कनॉट प्लेस"। कोई भी विदेशी या किसी भी दिल्लीवाले से पूछा जाएगा कि दिल्ली का नाम लेते ही सबसे पहले आपके ख्याल में क्या आता हैं, तो इसमें किसी तरह का कोई शक नहीं कि लाल किला, इंडिया गेट, हुमायूं का मकबरा, बंगला साहिब और क़ुतुब मीनार के साथ-साथ कनॉट प्लेस (Connaught Place) का नाम जरूर सुनाई पड़ेगा। 
ब्रिटिश शासन के भारत पर राज़ करने के समय यह प्यारा स्थान बनाया गया था जो अब तक यहां पर कनॉट प्लेस (Connaught Place) के नाम से मशहूर हैं और हर दिल्लीवासी के दिल में बसता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका नाम बदल गया था, और वह भी आज-कल में नहीं बल्कि 28 साल पहले? हमें आज आपको इस पेचीदा सवाल के बारे में बताएंगे कि इसके नाम के बदलने के पीछे क्या वजह हैं? इसका नाम क्यों बदला गया? और अगर कनॉट प्लेस का नाम बदला गया है तो इसका असली नाम आखिर हैं क्या? चलिए जानते हैं इससे जुड़े कुछ बेहद अमेजिंग और इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स के बारे में… 
क्या था Connaught Place का नया नाम?
अपनी रहीसी दिखाने के लिए ब्रिटिश राजाओं ने कई प्रभावशाली बिल्डिंग्स बनवाईं। उनमें से एक को "सीपी" कहा जाता था। इसके निर्माण का काम 1929 में शुरू हुआ और 1933 में खत्म हो गया। कनॉट प्लेस को तब शाही परिवार में स्ट्रैथर्न और ड्यूक ऑफ कनॉट के सम्मान में एक नाम दिया गया था। कनॉट प्लेस का डिज़ाइन, जो घोड़े की नाल जैसा दिखता है, ब्रिटेन में रॉयल क्रिसेंट से  डिज़ाइन से लेकर बनाया गया था। लंबे समय तक कनॉट प्लेस के नाम से मशहूर रही इस जगह का नाम सरकार ने 1995 में बदलने का फैसला किया और एक आदेश के मुताबिक इसका नाम बदल दिया गया और एक नया नाम दिया गया जिसको लेकर उस समय में काफी हंगामा भी हुआ था। 
इसीलिए पड़ी नाम बदलने की जरुरत 
कनॉट प्लेस के नाम की हिस्ट्री जाने के लिए आपको समय में थोड़ा पीछे जाना होगा, करीब 90 के दशक में। उस समय इस दौर में बहुत से बदलाव चल रहे थे। इन्हीं सब के बीच, 1995 में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया। उनका कहना था कि अब से, 75 साल पुराने कनॉट प्लेस (सीपी) को राजीव चौक और कनॉट सर्कस को रूप में इंदिरा चौक के रूप में जाना जाएगा और ये इन दोनों जगहों के नए नाम होंगे। तब ही से इस जगह को राजीव चौक के नाम से जाना जाता है। यह जगह आज नई दिल्ली नगर परिषद (NDMC) के इलाके में आता है। इसलिए सरकार इसकी देखरेख के लिए अलग से पैसा खर्च करती हैं। 
दुकानदारों ने किया विरोध प्रदर्शन 
राजीव गांधी और इंदिरा गांधी के नाम पर कनॉट प्लेस का नया नामकरण किया गया। इसलिए नाम के परिवर्तन पर एक बड़ा हंगामा हुआ। 24 अगस्त को दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखीं। विपक्ष ने संसद को लगातार दो दिनों तक कार्य करने की अनुमति नहीं दी। बहुत से विपक्षी नेताओं ने कहा कि एक परिवार के पास 100 से अधिक स्मारक हैं। तब मणि शंकर अय्यर ने कहा था कि यह नाम इसलिए बदला गया क्योंकि उन्हें लगा कि किसी भी विदेशी का नाम दिल्ली के केंद्रीय ऐतिहासिक स्थान पर नहीं होना चाहिए।