भगवान श्रीकृष्ण ने रात 12 बजे जन्म लिया था। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं।खास भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाने के लिए मंदिरों और कृष्ण भक्तों के घरों में जोरो-शोरों से तैयारियां चलती हैं। माखन-मिश्री के भोग के साथ-साथ तमाम तरह के प्रसाद, फूल, सजावट के सामानों से बाल गोपाल सजे-धजे रहते हैं।बाज़ारों में भी तरह-तरह के कृष्ण जी की मूर्तियां मिलती हैं, जिन्हें उनके भक्त जन्माष्टमी के दिन घर में लाते हैं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पूरे भारत वर्ष में विशेष महत्व है।यह हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था। देश के सभी राज्य अलग-अलग तरीके से इस महापर्व को मनाते हैं। इस दिन क्या बच्चे क्या बूढ़े सभी अपने आराध्य के जन्म की खुशी में दिन भर व्रत रखते हैं और कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं। दिन भर घरों और मंदिरों में भजन-कीर्तन चलते रहते हैं।वहीं, मंदिरों में झांकियां निकाली जाती हैं।
इस साल गृहस्थ जीवन वाले 6 सितंबर को जन्मोत्सव मनाएंगे। वहीं वैष्णव संप्रदाय में 07 सिंतबर को जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाएगा।
हर इंसान चाहता है कि उसके परिवार के में खुशहाली और सुख-समृद्धि बनी रहे। इसके लिए आपका घर वास्तु दोष रहित होना चाहिए. यदि आप भी पारिवारिक कलह से परेशान हो गए हैं और इसको लेकर मानसिक रूप से परेशान रहते हैं तो जन्माष्टमी की शाम को घर में तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाने से परिवार में चल रहे लड़ाई-झगड़े समाप्त होते हैं। इस दिन 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करते हुए तुलसी की 11 बार परिक्रमा करें। इससे परिवार में प्रेम का वातावरण बना रहता है।