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20 साल की उम्र में चुराई भैंस, 57 साल बाद मामले में सजा, 77 साल का हुआ आरोपी लेकिन अब कुछ भी नहीं याद…

ये मामला कर्नाटक के बीदर जिले का है, जो महाराष्ट्र बॉर्डर पर पड़ता है। गणपति विट्ठल भी महाराष्ट्र के उदयगिर में रहते हैं। ये मामला इंटर स्टेट भी है। उन पर जब 1965 में दो भैंस और एक बछड़ा चुराने का आरोप लगा था तब उनकी उम्र सिर्फ 20 साल थी। पर अब वह 77 साल के हो चुके हैं..

Khushboo Sharma
न्यायालय में हर दिन नए-नए केस आते है। कुछ केसों में आरोपियों को सजा जल्द मिल जाती है तो कुछ केसों में ये सजा सालों तक पैंडिंग रहती है। वहीं कई बार तो ऐसा होता है, जिसने कोर्ट में याचिका दर्ज की है उसकी ही मौत हो जाती है। जबकि कई बार व्यक्ति के ऊपर कोर्ट में केस चल रहा होता है वे ही इतने मर जाता है। लेकिन इन सबके बीच अब ऐसी खबर सामने आई है, जिसे सुनकर आप भी अपना सिर पकड़ कर बैठ जाएंगे। इसलिए नहीं कि यहां फिर से एक बड़ा अपराध हुआ और कोर्ट ने उस व्यक्ति को बरी कर दिया या फिर केस की सुनवाई ही नहीं हुई। बल्कि इसलिए, कोर्ट ने यहां 58 साल पुराने मामले को निकालकर उसमें सजा दी है।
बता दें, ये मामला कर्नाटक के बीदर जिले का है, जो महाराष्ट्र बॉर्डर पर पड़ता है। गणपति विट्ठल भी महाराष्ट्र के उदयगिर में रहते हैं। ये मामला इंटर स्टेट भी है। उन पर जब 1965 में दो भैंस और एक बछड़ा चुराने का आरोप लगा था तब उनकी उम्र सिर्फ 20 साल थी। पर अब वह 77 साल के हो चुके हैं लेकिन पुलिस ने अब जाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। आप भी सोच रहे होंगे कि इतना पुराना मामले में अब सजा कैसे ? तो बता दें, गणपति विट्ठल ने 1965 ने अपने कृष्णा चंदर के साथ भैंस चुराई थी। तब कृष्णा की उम्र 30 साल थी।
जिसके बाद मेहकर निवासी मुरलीधरराव माणिकराव कुलकर्णी ने 25 अप्रैल 1965 को दो भैंस और एक बछड़े की चोरी के संबंध में क्षेत्राधिकारी मेहकर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके बाद दोनों आरोपियों को पकड़ा गया था, जिन्हें बाद में बेल पर छोड़ दिया गया था। साथ ही, जो भैंस चोरी हुई थीं, वो भी मुरलीधरराव को वापस कर दी गई थीं। 
लेकिन, 57 साल बाद केस एक बार फिर ओपन हो गया है। इसके चलते पुलिस ने आरोपी गणपति विट्ठल को फिर गिरफ्तार किया है। मालूम हो,  2006 में कृष्णा की मौत हो गई थी। वहीं, 77 साल के विट्ठल को उस समय का कुछ भी याद नहीं हैं। लेकिन उन्हें उम्मीद है कि उन्हें जल्द बरी कर दिया जाएगा। पर ये सवाल अब भी कायम है कि, आखिर इतने जरूरी केसों के बीच में से एक ये ही केस ओपन कैसे हुआ।