'हिटलर' ये नाम सुन आज भी कई लोगों को रोंगटे खड़े हो जाते है। जिस तरह हिटलर के राज में यहूदियों पर अत्याचार किया था। उसे कोई नहीं भूल सकता है। लेकिन क्या आपको पता है कि हिटलर जितना खूंखार था, उतने ही खतरनाक हिटलर के साथी नाजी थे। शायद आपने पुरुषों की क्रुरता के किस्से सुने होंगे लेकिन क्या आपकों पता है कि हिटलर की टीम में महिला भी थी। जिसे सबसे क्रूर महिला नाजी सैनिक के तौर पर जाना जाता था?
निर्दयी महिला की बात करे तो वो एक जर्मन थी और नाजी सेना का हिस्सा थी। उन्होंने बेहद कम उम्र में ही क्रूरता की सारी हदें पार करना शुरू कर दिया था। उनके बारे में बताए तो नाजी सेना की खूंखार महिला का नाम इरमा था। उनका जन्म 1923 में हुआ था। वहीं, जब वे महज 13 साल की थी, तब उनकी मां ने आत्महत्या कर ली थी। वहीं, इस घटना के बाद इरमा को पता चला कि उनके पिता का किसी दूसरी महिला के साथ अफेयर चल रहा था। वहीं, उन्हें स्कूल में भी काफी प्रताड़ित किया जाता था। उनके पास इतनी हिम्मत नहीं थी कि वे किसी को जवाब दे सके। इससे तंग आकर उन्होंने टीनएज में स्कूल छोड़ दिया और पैसे कमाने के लिए खेती करने लगी। और फिर एक दुकान में काम करने लगीं।
समय यूं ही बितता गया और जब वो 19 साल की हुईं, तो उन्हें हिटलर के सिद्धांत इतने पसंद आए, इसके बाद वो नाजी सेना में शामिल हो गई। बता दें, उन्हें रेवन्सब्रक कॉन्सेंट्रेशन कैंप में गार्ड के तौर पर तैनात किया गया जहां वो महिला कैदियों की निगरानी किया करती थीं। एक साल बाद, 1943 में, ग्रेस को ऑश्विट्ज़ Auschwitz भेज दिया गया जहां नाजियों का सबसे बड़ा और सबसे कुख्यात कॉन्सेंट्रेशन कैंप था। उनका काम देखकर सभी उनसे खुश थे, इसलिए उन्हें सीनीयर सुपरवाइजर (SS) के पद पर प्रमोट कर वहां भेजा गया। जो नाजियों के राज में महिलाओं को दी जाने वाली दूसरी सबसे बड़ी पोस्ट थी। इतनी शक्ति मिलते ही, इरमा ने अपना असली चेहरा दिखाना शुरू कर दिया था।
बता दें, इरमा ने जैसे ही अपना चेहरा दिखाया उसके बाद से ही उन्हें 'Hyena of Auschwitz' या 'Beautiful Beast' के नाम से जाना जाता है। एक रिपोर्ट की माने तो जब भी किसी महिला को गैस चैंबर के लिए चुनना होता था, तो इरमा, सबसे खूबसूरत महिला को चुनती थी। वो खूबसूरत औरतों से चिढ़ा करती थी। वो उनके स्तनों पर वार कर उन्हें चोटिल किया करती थी। यही नहीं, वो यहूदी महिलाओं को पहरेदार बनाकर खुद जेल के अंदर घुस जाती थी और अन्य महिला कैदियों का रेप किया करती थी। कई बार वो कुत्तों से कैदियों के मुंह पर उल्टी करवाया करती थी और अपने नुकीले हील वाले बूट से उनके शरीर पर तब तक वाल करती थी, जब तक खून ना निकलने लगे। यहूदी वर्चुअल लाइब्रेरी के अनुसार इरमा के कमरे में कुछ लैंपशेड थे जो 3 मरे हुए कैदियों की चमड़ी से बने थे।
1945 में इरमा समेत 45 नाजियों को ब्रिटिश सेना ने गिरफ्तार कर लिया था। इरमा पर वॉर क्राइम के आरोप लगे जिसमें उसने खुद को बेगुनाह बताया पर चश्मदीदों की गहावी ने उसके सच को उजागर कर दिया। 13 दिसंबर 1945 को, सिर्फ 22 साल की उम्र में इरमा को फांसी की सजा दी गई। वो सबसे कम उम्र की महिला बनी, जिसे 20वीं सदी में ब्रिटिश कानून के अंतर्गत फांसी की सजा दी गई थी।
देखने वाली बात है कि, यहूदियों पर उस समय भी अत्याचार किये जाते थे और आज के समय में चल रहे फिलिस्तीनी और इजराइल के बीच, यहुदियों को भी खास एजेंडे के तहत निशाना बनाया जा रहा हैं।