ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे से पूरी दुनिया को सहम गई थी। इस हादसे के बाद एक बार फिर से ट्रेनों की सेफ्टी पर सवाल उठने लगे थे। लेकिन ये मुद्दा ठंडे बस्ते में जाता उसके बाद बिहार और आंध्रप्रदेश में हुए ट्रेन हादसे ने ये मुद्दा फिर से उठा दिया। हालांकि ये ट्रेन हादसे पहली बार नहीं थे, आजादी के बाद से ऐसे कई घातक ट्रेन हादसे हो चुके है, जिन्हें सुन किसी भी व्यक्ति की रूंह कांप जाए।
6 जून 1981 में बिहार में बागमती पुल को पार करते समय गाड़ी संख्या 416dn पैसेंजर ट्रेन नदी में जा गिरी थी। इस ट्रेन हादसे में 750 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। दावा ये भी है कि कई लोगों के तो शव बरामद ही नहीं हुए थे। इस ट्रेन हादसे को सबसे भीषण ट्रेन दुर्घटना कहा जाता है।20 अगस्त 1995 में उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद के पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस ट्रैक पर खड़ी कालिंदी एक्सप्रेस से टकरा गई थी। आधिकारिक रूप से मरने वालों की संख्या लगभग 305 थी।2 अगस्त 1999 में ब्रह्मापुत्र मेल उत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार डिवीजन के गैसल स्टेशन पर स्थिर अवध असम एक्सप्रेस से टकरा गई थी। इस हादसे में 285 से ज्यादा लोगों ने अपनी जाव गंवाई थी और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। पीड़ितो में से कई सेना, बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवान भी शामिल थे। 20 नवंबर 2016 में उत्तर प्रदेश के कानपुर से लगभग 60 किलोमीटर दूर पुखरायां में इंदौर-राजेंद्र नगर एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतर जाने से पुखरायां ट्रेन पटरी से उतर गई थी। इसमें 152 यात्रियों की मौत हो गई जबकि 260 घायल हो गए। 28 मई, 2010 को मुंबई जाने वाली ट्रेन जनेश्वरी एक्सप्रेस पश्चिम बंगाल में झारग्राम के पास पटरी से उतर गई थी, जिसके बाद वो एक मालगाड़ी से टकरा गई, जिसमें 148 लोगों ने जान गंवाई थी।