फिल्मों और टीवी सीरियल में तो आपने अक्सर देखा होगा कि लोग शराब पीने से पहले गिलासों को आपस में टकराते हैं और फिर चीयर्स बोलते हैं। सिर्फ फिल्मों में ही नहीं बल्कि रियल लाइफ में भी जब भी लोग एक साथ बैठकर ग्रुप में ड्रिंक करते हैं तो हमेशा पहली बार ग्लास को मुंह लगाने से पहले सारे साथ में मिलकर ग्लासों को आपस में टकराते हुए चीयर्स बोलने के बाद ही पीते हैं।
पुराने टाइम से ही शराब पीने से पहले गिलासों को आपस में एक-दूसरे से टकराने और चीयर्स बोलने का रिवाज चलता आ रहा है। दुनिया के हर कोने में शराब पीने से पहले लोग चीयर्स जरूर करते हैं, अगर आप कभी बिना चीयर्स किए शराब पीने लगते है तो आपके दोस्त इस बात पर आपको टोक भी देते हैं। मगर क्या आपने कभी सोचा है कि इसके पीछे की क्या वजह है और कहानी है।
क्या है चीयर्स के पीछे की कहानी?
फोन पर बात स्टार्ट करने से पहले हैलो कहे बिना जैसे बात अधूरी लगती है, उसी तरह चीयर्स बोले बिना शराब पीना भी अधूरा है। चीयर्स शब्द ओल्ड फ्रेंच वर्ड chiere से मिलकर बना है, जिसका मतलब है चेहका या सिर। 18 वीं शताब्दी में चियर्स शब्द का इस्तेमाल खुशी जाहिर करने के लिए किया जाता था। वैसे शराब पीने से पहले चीयर्स करने के पीछे अलग-अलग मान्यता है।
जर्मन रिवाजों में चीयर्स करने की वजह
जैसे जर्मन रिवाजों के मुताबिक अगर गिलास टकराते हैं तो एविल या घोस्ट शराब से दूर रहते हैं, इसलिए लोग शराब पीने से पहले एविल को दूर रखने के लिए चीयर्स शब्द का यूज करते हैं। वहीं, चीयर्स अपनी खुशी को जाहिर करने और जश्न मनाने का शानदार तरीका है क्योंकि इसका मतलब होता है कि अच्छा वक्त अब शुरु हो चुका है।
नशे में झगड़े और दुश्मनी होना
ऐसी मान्यता है कि प्राचीन यूरोप में योद्धा, रईस और दरबारियों के बीच शाम की बैठकों में नशे में झगड़े और दुश्मनी होना आम बात थी। ऐसे में गिलासों को आपस में टकराने से थोड़ी सी शराब दूसरे शख्स पर गिर जाती है जिससे ये साबित हो जाता है कि किसी ने ड्रिंक में जहर नहीं मिलाया है और ये पीने के लिए पूरी तरह से सेफ है।
पांचों इंद्रियों का मिलना
कहा जाता है कि जब शराब पीते हैं तो हमारी पांच इंद्रियों में से चार इंद्रियां आंख, नाक, त्वाचा, जीभ इस प्रोसेस में शामिल होते हैं। लेकिन, इस प्रोसेस में कान का इस्तेमाल नहीं होता है, ऐसे में कान को शामिल करने के लिए भी गिलास टकराए जाते हैं ताकि कान भी इस प्रोसेस में शामिल हो। जब ड्रिंक करने में पांच इंद्रियों का यूज होता है, तो शराब पीने का मजा डबल हो जाता है।