14 मार्च वह तारीख है, जब दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म हुआ था। आइंस्टीन का दिमाग बचपन से ही इतना तेज था कि उन्होंने महज 12 साल की उम्र में उन्होंने बीजगणित (Algebra)और यूक्लिडियन ज्यामिति (Euclidean Geometry)खुद से सीख ली थी। उन्होंने अपने सापेक्षता के सिद्धांत (Theory of Relativity) से ब्रह्मांड के नियमों को समझाया। इस सिद्धांत E=mc2 ने विज्ञान की दुनिया को बदल कर रख दिया।
बता दें, आइंस्टीन के सिर का आकार बचपन से ही सामान्य बच्चों के मुताबिक बड़ा था। उस समय मेडिकल साइंस इतना डेवलप नहीं था कि इस बड़े सिर का कारण जाना जा सके। इसलिए आइंस्टीन को डॉक्टरों ने एबनॉर्मल बच्चा समझ लिया। लेकिन न ही ये बात डॉक्टर जानते थे और न ही उनके माता-पिता की जिस बच्चे के सिर का आकार बड़ा होने और न बोलने से वो परेशान थे। वे एक एसी हस्ती बना जाएंगे कि उनका नाम हमेशा ही लोगों की जुबान पर रहेगा।
यहां तक की आइंस्टीन की मृत्यु के बाद एक डॉक्टर ने उनके दिमाग को भी निकाल लिया था। क्योंकि वे उनके इतने समझदार होने के बारे में जानना चाहते थे। दरअसल, 8 अप्रैल, 1955 को प्रिंसटन यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में 76 वर्ष की आयु में उन्होंने आखिरी सांस ली। उस समय वे इजरायल की सातवीं वर्षगांठ का सम्मान करने के लिए भाषण पर काम कर रहे थे। अचानक पेट की धमनी में समस्या आई और आनन-फानन में उनका निधन हो गया।
लेकिन जब उनकी मृत्यु हुई तो प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के एक पैथोलॉजिस्ट डॉ. थॉमस स्टोल्ट्ज हार्वे ने उनका दिमाग चुरा लिया। आइंस्टीन को शायद अंदाजा था कि उनके दिमाग पर रिसर्च हो सकती है, इसलिए उन्होंने पहले ही इनकार कर दिया था, वह नहीं चाहते थे कि उनके शरीर और मस्तिष्क का अध्ययन किया जाए।
ब्रायन ब्यूरेल की किताब, पोस्टकार्ड्स फ्रॉम द ब्रेन म्यूजियम के अनुसार, आइंस्टीन ने पहले ही लिखकर निर्देश दिया कि उनके शरीर के अवशेषों के साथ कोई छेड़छाड़ न की जाए। अंतिम संस्कार के बाद राख को कहीं गुप्त रूप से बिखेर दिया जाए। लेकिन हार्वे ने परिवार की अनुमति के बिना उनका दिमाग चुरा लिया। अस्पताल ने भी थॉमस से दिमाग लौटाने को कहा, लेकिन उन्होंने नहीं लौटाया और 20 साल छुपाकर रखा।
बाद में हार्वे ने आइंस्टीन के बेटे हंस अल्बर्ट से दिमाग को अपने पास रखने की अनुमति हासिल कर ली। हालांकि, शर्त थी कि सिर्फ विज्ञान के हित में ही इसका इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन थॉमस में इतनी क्षमता नहीं थी की दिमाग अच्छे से पढ़ पाए। इसलिए उसने दिमाग के 240 टुकड़े किए और उसे एक केमिकल सेलोइडिन में डालकर तहखाने में छुपा दिया।
हालांकि, हार्वे की पत्नी को यह पसंद नहीं थ। उनके डर से हार्वे आइंस्टीन के दिमाग को मिडवेस्ट ले गए। कई जगह नौकरी की और साथियों के साथ मिलकर आइंस्टीन के दिमाग पर रिसर्च भी करते रहे। 1985 में उनका पहला रिसर्च पेपर पब्लिश हुआ, जिसमें आइंस्टीन के दिमाग का अध्ययन किया गया था। दावा किया गया कि साधारण लोगों के दिमाग की तुलना में आइंस्टीन के दिमाग में एक असाधारण सेल संरचना थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि आइंस्टीन की आंखें तक एक बॉक में सुरक्षित रखी गई हैं।