दुनिया

शिखर सम्मेलन में भाग लेने ट्रेन से यात्रा कर रूस पहुंचे तानाशाह किम जोंग, जानें बुलेटप्रूफ ट्रेन की खासियत

कोरिया के तानाशाह कहें जाने वाले किम जोंग आज मंगलवार को रुस पहुंचे है, बता दें कि उनके रुस पहुंचने की वजह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर सम्मेलन में शामिल होना है।

Desk Team
कोरिया के तानाशाह कहें जाने वाले  किम जोंग आज मंगलवार को रुस पहुंचे है, बता दें कि उनके रुस पहुंचने की वजह  राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर सम्मेलन में शामिल होना है। दरअसल किम जोंग निजी ट्रेन से रूस पहुंचे हैं, उनके साथ कई राजनीतिक और सैन्य कमांडरों के अलावा आर्म्स इंडस्ट्री के बड़े अधिकारी भी गए है, इस दौरे में किम जोंग उन और पुतिन के बीच बातचीत का मुद्दा पड़ोसी देशों के बीच रिश्ते मजबूत करना होगा, इसके अलावा दोनों देश अमेरिका  का मुकाबला करने के लिए रणनीति पर जोर दे सकते है।
जानिए ट्रेन से यात्रा करने के पीछे का राज क्या है
किम जोंग के ट्रेन से रुस पहुंचने के बाद सोशल मीडिया पर कुछ फोटो वायरल हुई जिसके बाद लोग के मन में यहां सवाल उठ रहा होगा कि कई देश के बड़े नेता अकसर प्लेन से यात्रा करते है, अगर उनको किसी भी दूसरे देश की यात्रा करनी होती है तो किम जोंग ट्रेन से क्यों कर रहे है, तो इसके पीछे की वजह  दरअसल किम जोंग उन के पिता, किम जोंग इल और उनके दादा, किम इल सुंग, दोनों उड़ान भरने से डरते थे, तब पैदा हुआ जब किम जोंग इल और किम इल सुंग ने एक उड़ान के दौरान अपने जेट में विस्फोट देखा था, इस घटना के बाद किम इल सुंग 1986 में एकबार सोवियत संघ गए थे, यह आखिरी बार था जब उत्तर कोरियाई नेता ने तीन दशकों से अधिक समय में हवाई मार्ग से विदेश यात्रा की थी।
पदभार संभालने के बाद नहीं की प्लेन से यात्रा
 2011 में पदभार संभालने के बाद से उन्होंने प्लेन से यात्रा करना बंद ही कर दिया, 2018 में आखिरी बार वह तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ मुलाकात के लिए सिंगापुर हवाई जहाज से ही गए थे, ऐसा कहा जाता है कि ट्रेन से यात्रा करने के पीछे का कारण अपने परिवार की परंपरा का पालन करना और अपने बड़ों के प्रति सम्मान माना जा सकता है।
बुलेटप्रूफ ट्रेन के अंदर क्या है खास
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक किम जोंग उन की ट्रेन, वही है जिसे उनके पिता और दादा असर उपयोग में लिया करते थे, इसमें आलीशान फर्नीचर और प्रेस वार्ता रुम की व्यवस्था है, ट्रेन में 21 बुलेटप्रूफ गाड़ियां रहती हैं, उन के काफिले में दो ट्रेन चलती है, लगभग 100 से अधिक सुरक्षा कर्मियों को खतरों से निपटने के लिए स्टेशनों पर आगे भेजा जाता है, जबकि अन्य ट्रेनों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए स्टेशनों पर बिजली बंद कर दी जाती है, रिपोर्ट में दावा किया गया है कि किम जोंग उन की ट्रेन इतनी भारी है कि यह 59 किमी/घंटा से अधिक नहीं चल सकती है, पर मजबूती के मामले में इसकी तुलना लंदन की हाई-स्पीड रेल से की जाती है जो लगभग 200 किमी/घंटा और जापान की शिंकानसेन बुलेट ट्रेन 320 किमी/घंटा की रफ्तार से चलती है।