Indian Navy Guided Missile Frigate : भारतीय नौसेना को इसी महीने आईएनएस तुशील के रूप में नया साथी मिलेगा। यूक्रेन से युद्ध की वजह से रूस ने डिलीवरी में देरी की। रूस में निर्मित दो गाइडेड मिसाइल युद्धपोतों में से पहले की डिलीवरी हो रही है। दो गाइडेड मिसाइल आने से समुद्र में भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ जाएगी। ऐसे में चीन और पाकिस्तान की टेंशन बढ़ जाएगी। लगभग 4 हजार टन वजनी मल्टी रोल वाला फ्रिगेट कुछ महीनों से कलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड में तैनात 200 से अधिक अधिकारियों और नाविकों के भारतीय दल को सौंपा जाएगा। इसके बाद युद्धपोत को आईएनएस तुशील के रूप में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से नेवी में कमीशन किया जाएगा। राजनाथ दिसंबर की शुरुआत में रूस का दौरा करने वाले हैं। वैसे, एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों के दो शेष स्क्वाड्रनों की डिलीवरी साल 2026 तक होने की संभावना है। साथ ही परमाणु ऊर्जा से चलने वाली हमलावर पनडुब्बी का पट्टा साल 2028 तक मिलेगा।
अगले साल मिलेगा दूसरा फ्रिगेट
सूत्रों ने बताया कि दूसरा फ्रिगेट आईएनएस तमल को अगले साल की शुरुआत में सौंपा जाएगा। दोनों स्टील्थ फ्रिगेट की लंबाई 124.8 मीटर है। आईएनएस तुशील की टॉप स्पीड 30 समुद्री मील है। इनकी अधिकतम स्पीड 59 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। यह जंगी जहाज इलेक्ट्रोनिक वारफेयर सिस्टम से लैस हैं। इसकी क्रूजिंग रेंज 4850 मील है। अक्टूबर 2018 में भारत ने चार ग्रिगोरोविच श्रेणी के फ्रिगेट की खरीद के लिए एक अम्ब्रेला समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें से पहले दो को रूस से 8 हजार करोड़ रुपये में आयात किया जाना था। अन्य दो का निर्माण गोवा शिपयार्ड (GSL) में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ 13 हजार करोड़ से किया जा रहा है। इसमें से पहला इस साल जुलाई में त्रिपुत के रूप में 'लॉन्च' किया गया था। ये चार युद्धपोत छह ऐसे रूसी फ्रिगेट में शामिल होंगे। इनमें तीन तलवार श्रेणी और तीन टेग श्रेणी के युद्धपोत हैं, जो 2003-04 से नौसेना में पहले से शामिल हैं।
साल 2028 तक और बढ़ेगी नेवी की ताकत
भारत ने पहले रूस से लीज पर लेकर दो परमाणु ऊर्जा से चलने वाली हमलावर पनडुब्बियों INS चक्र-1 और INS चक्र-2 का संचालन किया है। इनमें पारंपरिक हथियार शामिल हैं। मार्च 2019 में भारत ने रूस के साथ 10 साल के लिए एक अधिक एडवांस एसएसएल को लीज पर लेने के लिए 21 हजार करोड़ रुपए से ज़्यादा का सौदा किया था। इसकी डिलीवरी भी साल 2027 से आगे टल गई है। यानी यह साल 2028 में डिलीवर होगी।
एस-400 की डिलीवरी में देरी
रूस के साथ किए गए 40 हजार करोड़ रुपए के कॉन्ट्रैक्ट के तहत एस-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों के चौथे और पांचवें स्क्वाड्रन की डिलीवरी साल 2026 तक होगी। सूत्रों के अनुसार भारत ने रूस से जल्द डिलीवरी के लिए कहा है, लेकिन यह मुश्किल है। कारण है कि रूस का पूरा डिफेंस टेक्नोलॉजी प्रोडक्शन यूक्रेन युद्ध में जुटा है।
चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनाती
भारतीय वायुसेना ने पहले तीन एस-400 स्क्वाड्रनों को तैनात किया है, जो 380 किलोमीटर की दूरी पर दुश्मन के बॉम्बर, जेट विमानों, जासूसी विमानों, मिसाइलों और ड्रोनों का पता लगा सकते हैं। उन्हें नष्ट कर सकते हैं। ये स्क्वाड्रन चीन और पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किए गए हैं।
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