धर्म के नाम पर अलग पाकिस्तान बनने के बाद वहां धर्म का मजहबी पागलपन इस कदर चढ़ा हुआ है कि पाकिस्तानी भूल गए हैं, इस्लाम से ही शिया सुन्नी दोनों जातियां आती। पाकिस्तान बनने के बाद वहां की सत्ता पर कभी सच्चा लोकतंत्र स्थापित नहीं हो पाया कभी सेना तो कभी अलोकतांत्रिक शक्तियों का कब्ज़ा रहा, पाकिस्तान में बढ़ता चरमपंथ इतना बढ़ गया हैं कि हर दूसरा पाकिस्तानी जिहादी हो चुका है। जिसमें हलियाँ उदाहरण शिया सुन्नी विवाद हैं।
पाकिस्तान के उत्तरी प्रान्त में शिया और सुन्नी मुसलमानों में छिड़ी जंग में लगभग 300 से ज्यादा परिवारों को अपना घर कारोबार छोड़कर कर वहां से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस धार्मिक उन्माद ने कुछ महीनो के अंदर ही 150 से अधिक लोगों की जान ले ली हैं। शनिवार को हुई ताजा झड़पों में 32 लोगों की मौत शामिल है।
मीडिया रिपोर्ट बताते है, कि 300 परिवारों से अधिक लोग आज सुबह ही अपना घर बार छोड़कर हंगू और पेशावर में भाग गए हैं, आगे बताया की कुर्रम जिले में और भी परिवार सुरक्षा की दृष्टि से भागने की तयारी कर रहे हैं। यह क्षेत्र अफगानिस्तान की सीमा से सटा हुआ है, जो वर्तमान में तालिबान के आतंक से जूझ रहा है। एक अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने समाचार आउटलेट्स को बताया, कि "शिया और सुन्नी समुदायों के बीच कई स्थानों पर लड़ाई जारी है।" शनिवार की झड़पों में मरने वाले 32 लोगों में से 14 सुन्नी और 18 शिया थे। शिया और सुन्नियों के बीच क्यों शुरू हुई लड़ाई?
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