Nepal: नेपाल को लगातार राजनीतिक उथल-पुथल का सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच कम्युनिस्ट पार्टी के नेता केपी शर्मा ओली को चौथी बार नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। आज शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया है। जहां राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल उन्हें पद की गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। शुक्रवार देर रात ओली ने नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया और प्रतिनिधि सभा के 165 सदस्यों के हस्ताक्षर वाला समर्थन पत्र सौंपा, जिस पर उनकी पार्टी से 77 तथा नेपाली कांग्रेस से 88 सदस्यों के दस्तखत थे। राष्ट्रपति भवन में सोमवार को सुबह 11 बजे ओली का शपथग्रहण समारोह होगा।
11 बजे होगा शपथ ग्रहण समारोह
कम्युनिस्ट पार्टी के नेता केपी शर्मा ओली का शपथ ग्रहण समारोह सोमवार को सुबह 11 बजे राष्ट्रपति भवन के मुख्य भवन शीतल निवास में होगा। संवैधानिक जनादेश के अनुसार ओली को अब नियुक्ति के 30 दिनों के भीतर संसद से विश्वास मत हासिल करना होगा। दरअसल, केपी शर्मा ओली को 275 सीटों वाली प्रतिनिधि सभा में कम से कम 138 वोटों की आवश्यकता होगी।
ओली ने अपने पहले कार्यकाल में ने सार्वजनिक रूप से भारत की आलोचना की थी। 2015 में नेपाल में नया संघीय, लोकतांत्रिक संविधान अपनाए जाने के बाद तराई क्षेत्र में महीनों तक आंदोलन चला। भारतीय मूल के तराई निवासियों ने भेदभाव का आरोप लगाया था।
भारत-नेपाल संबंधों में आए थे तनाव
इस मुद्दे को लेकर भारत-नेपाल संबंध में तनाव पैदा हो गया, लेकिन ओली नेपाल-भारत प्रमुख व्यक्ति समूह गठित करने पर सहमत हो गए थे। दूसरी बार सत्ता संभालने से पहले ओली ने देश की आर्थिक समृद्धि के लिए भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने का वादा किया, लेकिन नेपाल का नया राजनीतिक नक्शा जारी होने के बाद भारत के साथ संबंधों में खटास पैदा हो गई। नए नक्शे में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तीन भारतीय क्षेत्रों को नेपाल का बताया गया था।
असली अयोध्या नेपाल में कह पैदा किया था विवाद
जुलाई 2020 में ओली ने यह दावा किया था कि भारत ने राम को हड़प लिया है और असली अयोध्या नेपाल में है। ओली के इस दावे से भारत के असहज होने के बाद नेपाल के विदेश मंत्रालय को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा था।
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