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पाकिस्तान में आम चुनाव 2024 के बाद ज्यादातर सीटों के नतीजे आ चुके हैं। तीन दिन बीत चुके हैं और अभी तक पाकिस्तान (Pakistan) का चुनावी परिदृश्य साफ नहीं हो पाया है। बता दें नेशनल असेंबली की 265 सीटों के लिए हुए चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत मिला है। इसका असर ये हुआ है कि बहुमत के 133 सीटों के नंबर तक पहुंचने के लिए जोड़-तोड़ की शुरुआत हो गई है।
इमरान खान की पार्टी 'पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ' (पीटीआई) समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने हार के बाद चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है। निर्दलीय उम्मीदवार काउंटिंग में हुई गड़बड़ी को लेकर हाईकोर्ट पहुंचने लगे हैं। इधर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) चीफ बिलावल भुट्टो ने कहा है कि गठबंधन सरकार के लिए पीटीआई और नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल-एन) के साथ चर्चा नहीं हुई है।
सूत्रों के मुताबिक, इमरान की पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार हार के बाद चुनावी नतीजों को लेकर अदालत पहुंचने लगे हैं।आने वाले दिनों में कई निर्दलीयों को हाईकोर्ट जाने की बात कही गई है। शहबाज शरीफ और उनके बेटे हमजा शरीफ को जिस सीट से जीत मिली है, उस पर हारने वाले निर्दलीयों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ऐसे ही नवाज शरीफ को जहां से जीत मिली है, वहां से हारने वाली यासमीन राशिद भी अदालत गई हैं।
बिलावल भुट्टो ने कहा है कि पाकिस्तान में गठबंधन सरकार बनाने के लिए नवाज शरीफ की पीएमएल-एन और इमरान समर्थित पीटीआई से बात नहीं हुई है। बिलावल ने इस बात को भी स्वीकार किया है कि उनकी पार्टी अपने बूते सरकार नहीं बना सकती है। यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी या उनके पिता आसिफ जरदारी की शहबाज शरीफ के साथ कोई बैठक हुई है, तो इस पर बिलावल ने कहा, 'मैं ऐसी किसी बैठक के बारे में नहीं बता सकता हूं।
दरअसल, नवाज सरकार बनाने के लिए इमरान खान समर्थक निर्दलीय सांसदों को भी अपने पाले में मिलाने के लिए जोर-शोर से लगे हुए हैं। नवाज और उनकी बेटी मरियम नवाज इन सांसदों को अपनी पार्टी में शामिल करना चाहते हैं। निर्दलीय सांसद इमरान समर्थक जरूर हैं, लेकिन स्वतंत्र हैं। वह इमरान खान की पार्टी के नियमों के अंतर्गत नहीं आते है।
पाकिस्तान नेशनल असेंबली में कुल 336 सीटें हैं इसमें से 266 सीटों पर वोट कराया जाता है। 10 सीटें महिलाओं के लिए और 60 अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के लिए आरक्षित हैं ये सीटे चुनाव में जीतने वाले दलों को आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर आवंटित की जाती हैं। ऐसे में इमरान को यहां अल्पसंख्यक सीटों का कोटा मिलना नाममुकिन हो गया है। पाकिस्तान में त्रिशंकु रिजल्ट के कारण जोड़-तोड़ की संभावनाएं बढ़ गईं।