कृषि इनपुट अनुदान योजना में नीतीश सरकार ने सुल्तानगंज और शाहकुंड प्रखंड को छोड़ अपनाई दोहरी नीति : ललन कुमार - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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कृषि इनपुट अनुदान योजना में नीतीश सरकार ने सुल्तानगंज और शाहकुंड प्रखंड को छोड़ अपनाई दोहरी नीति : ललन कुमार

बिहार सरकार द्वारा कृषि इनपुट अनुदान योजना पर दिए जाने वाले किसानों के लाभ को लेकर दोहरी नीति अपनाए जाने पर युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सह सुल्तानगंज विधानसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी ललन कुमार ने कई सवाल उठाए हैं।

पटना, (पंजाब केसरी) : बिहार सरकार द्वारा कृषि इनपुट अनुदान योजना पर दिए जाने वाले किसानों के लाभ को लेकर दोहरी नीति अपनाए जाने पर  युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष  सह सुल्तानगंज विधानसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी ललन कुमार ने कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि इस योजना के तहत दोहरी नीति अपनाई गई है। उन्होंने कहा कि इस योजना में सुल्तानगंज एवं शाहकुंड को शामिल नहीं किया जाना, सरकार की दोहरी नीति दर्शाती है। उन्होंने बताया कि इस योजना के अंतर्गत बिहार सरकार उन किसानों को सहायता राशि प्रदान करेगीए जिनकी फसल और समय ओलावृष्टि और वर्षा के कारण बर्बाद हो गई है। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करने होंगे। उन्होंने बताया कि इस योजना के लिए बिहार के 19 जिलों को शामिल किया गया हैए जिसके अंतर्गत प्रति हेक्टेयर न्यूनतम रू 1000 का अनुदान किसानों को दिया जाएगा। 
 ललन कुमार ने नीतीश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि एक साजिश के तहत भागलपुर जिले के 2 प्रखंडों शाहकुंड और सुल्तानगंज को इस योजना में शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए पूछा है कि जब भागलपुर के पीरपैंती, कहलगांव, गोपालपुर, नवगछिया, खरीक, रंगरा चौक, इस्माइलपुर, नारायाणपुर, बिहपुर, सबौर आदि प्रखंडों को इस इनपुट योजना में शामिल कर लिया गया है तो फिर इन दो प्रखंडों को शामिल क्यों नहीं किया गया ?
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उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से ऐसा जान-बूझकर इसलिए किया जा रहा है कि इन क्षेत्रों में सर्वाधिक किसान रहते हैं और इन क्षेत्रों के किसान को इस योजना का लाभ नहीं मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की दोहरी नीति के कारण सरकार का गरीब विरोधी चेहरा सबके सामने आ चुका है। उन्होंने कहा कि सरकार साजिश के तहत लोगों को परेशान कर रही है और वे इन गरीब किसानों को बंधुआ मजदूर की तरह उपयोग करने की कुत्सित मनसा पाले हुए हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ किसान बर्बाद हो रहे हैं और दूसरी तरफ सरकार इन किसानों के नाम पर  दोहरे चरित्र उजागर कर  सत्ता काबीज  पर बने रहने की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने बताया कि 15 सालों के शासन में इस सरकार ने कभी शोषित,मजदूर, बेरोजगार युवक, एवं देश की रीढ़ किसानों की फिक्र नहीं की। उन्होंने कहा कि जब लोगों के समक्ष वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है और लोगों के सामने भुखमरी की नौबत आई हुई, बेरोजगार युवकों के सामने रोजगार पाना एक जटिल समस्या बन चुका है, ऐसे में सरकार को नए सिरे से सब के कल्याण के लिए सोचना चाहिए था। लेकिन  नीतीश सरकार अपनी कुत्सित मनसा और ओछी राजनीति के बलबूते सत्ता काबीज का पुन: कुचक्र रच रहे हैंए जो कदापि उचित नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि जिस तरह से प्रवासी मजदूरों का बिहार में आगमन हो रहा है, उससे रोजगार का बड़ा संकट खड़ा होने वाला है। क्योंकि फिलहाल सरकार के सामने रोजगार के कोई नए साधन पैदा करने के कोई आसार नहीं है। ऐसे में यदि बीमारी पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो और भी कई तरह के संकट आएंगे। इसलिए सरकार को चाहिए कि समय से पहले सावधान हो जाएं और जो भी बन सके, लोगों की यथासंभव बगैर किसी भेदभाव के मदद करें, अन्यथा इसका खामियाजा नीतीश सरकार को आने वाले चुनाव में  चुकाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल सबसे ज्यादा जरूरत ग्रामीण क्षेत्रों में पैदा हुई नई बेरोजगारी की है और हमारे सुबे में रोजगार की कमी है। उन्होंने कहा कि कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देकर बहुत हद तक आम लोगों की परेशानियों को दूर किया जा सकता है।

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