बिहार में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न आपदाजनक स्थिति पर विधान मंडल के केंद्रीय कक्ष में शनिवार को सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के सभी दलों के वरिष्ठ नेताओं से अपने विचार और सुझाव साझा किए। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण के प्रति सबको सजग रहने की अपील करते हुए कहा कि आज कई बीमारियों का कारण जलवायु परिवर्तन है। उन्होंने कहा कि प्रकृति से छेड़छाड़ के बाद हिसाब लेती है।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण ही बाढ़ और सूखे की समस्या बढ़ गई है। उन्होंने लोगों से अपने घरों के आसपास और अपनी जमीन पर पेड़ लगाने की अपील करते हुए कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए हम सबको सजग होना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने बाढ़ और बारिश को लेकर बैठक करने की जानकारी देते हुए कहा कि बाढ़ से निबटने के लिए सरकार की तैयारी पूरी है। मुख्यमंत्री ने मिथिला में जल संकट पर चिंता जताते हुए कहा कि ऐसा कैसे हो रहा है, इस पर सोचना होगा।
उन्होंने कहा, “तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा, साथ ही सार्वजनिक कुएं को भी ठीक कराया जाएगा।” मुख्यमंत्री ने खेतों में फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए भी जागरूकता अभियान चलाने की बात करते हुए कहा कि इससे उत्पादकता नहीं बढ़ती है। उन्होंने इस मौके पर कहा कि सरकार के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़तों का है। उन्होंने इस साल लू से हुईं मौतों और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) बीमारी के लिए भी जलवायु परिवर्तन को कारण बताया।
नीतीश ने बिहार में हरित क्षेत्र बढ़ाने का दावा करते हुए कहा कि अभी बड़ी संख्या में पौधे लगाने की जरूरत है। उन्होंने लोगों को चेतावनी देते हुए कहा, “हम अब नहीं चेते तो फिर हाथ मलते रह जाएंगे।” बैठक में विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, उमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सहित कई वरिष्ठ नेता और विधायक उपस्थित थे।