पटना : देशभर में कोरोना वायरस का कहर तेजी से फैल रहा है। महामारी के चलते रिजर्व बैंक ने कई तरह से नीतियों में बदलाव किए है ताकि लोगों को इस महामारी के समय ज्यादा परेशानियों का सामना न करना पड़ सकें। मगर बिहार के वंचित समाज पार्टी के चुनाव अभियान समिति के प्रमुख ललित मोहन सिंह का कहना है कि बैंकों से मिलने वाला ऋण से केवल बड़े उद्योगपतियों को फायदा मिल रहा है। सिंह ने कहा कि रिजर्व बैंक ने जो एक लाख करोड़ की जो घोषणा की है उससे बाजार में लिक्विडिटी आने की संभावना नहीं है। हां, यह हो सकता है की भारत की जो अर्थव्यवस्था जीरो पॉइंट से भी नीचे की ओर जा रही थी उस में मजबूती प्रदान हो सकती है।
परंतु बैंकों द्वारा जितने भी ऋण दिए गए वह सभी बड़े-बड़े घरानों और उद्योगपतियों को दिए गए अगर बैंकों द्वारा मध्यमवर्ग गरीब लोगों को कर्ज दिया जाता को रिजर्व बैंक को रिवर्स रेपो रेट बार-बार कम नहीं करना पड़ता। बैंकों द्वारा ऋण मुहैया नहीं कराए जाने के फलस्वरूप बैंक अपना रुपया रिजर्व बैंक में जमा करवा देता है और रिजर्व बैंक उस पर एक नियत ब्याज देता है इसलिए बार-बार रिजर्व बैंक रिवर्स रेपो रेट में कमी कर रहा है इस वैश्विक महामारी के कारण 12 से 15 करोड़ लोग पूरे देश में बेरोजगार हो गए है।
रिजर्व बैंक ने डूबती हुई भारतीय अर्थव्यवस्था को तीनके की सहारा दे तो दी है परंतु गरीबों को सीधे फायदा देने वाले योजनाओं पर काम शुरू नहीं होता है तब तक बाजार में लिक्विडिटी संभव नहीं सरकार को मनरेगा जैसी योजनाओं पर अभिलंब काम करना चाहिए। रिजर्व बैंक एनबीएफसी के द्वारा बैंकों को दे रही है जबकि पैसा सीधे बैंकों को दिया जाना चाहिए था और बैंक आम लोगों को कर्ज देकर छोटे-छोटे उद्योग धंधों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। जब लॉकडाउन टूटेगा तो चीन अपना माल बाजार में लेकर खड़ा रहेगा ऐसी स्थिति में सरकार को सीमा शुल्क बढ़ाना चाहिए। जिससे कि विदेशी सामानों की आपूर्ति कम हो तथा घरेलू उत्पादों की बिक्री बढ़ सके। उन्होंने कहा कि भारत सरकार तत्काल प्रभाव से चाइना से सारा इम्पोर्ट -2 साल के लिए बंद कर दें। ताकि भारतवासी का कल सुरक्षित हो सके और एमएसएमही इंडस्ट्री ग्रो कर सकें।