पटना , (पंजाब केसरी): बिहार निषाद संघ के प्रदेश कार्यालय में संध के पदाधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए संघ के प्रदेश अध्यक्ष ई हरेन्द्र प्रसाद निषाद ने कहा कि वर्ष2007में नगर निकाय में अतिपिछडा वर्ग को मिले 20 प्रतिशत आरक्षण पर पटना उच्च न्यायालय द्वारा रोक का दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय अतिपिछडा वर्ग के अधिकारों का हनन है। अभी भी राजनीतिक, सामाजिक एवंं आर्थिक रूप से पिछड़े अतिपिछडा वर्ग इतना सम्पन्न नहीं है कि सभी लोग सामान्य सीट से चुनाव लड़ सके।
कार्यकारी अध्यक्ष जलेश्वर सहनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का समय पर पालन किया जाता तो ऐसी नौबत नहीं आती। आरक्षण कोई भीख नहीं यह संविधान के द्वारा मिला है। मुख्य सरंक्षण शशीभूषण कुमार ने केन्द्र एवं राज्य सरकार से जातीय जनगणना शीघ्र कराने की मांग की ताकि अतिपिछडों को उनके संख्याबल के अनुपात में आरक्षण मिले। कार्यकारी प्रधान महासचिव धीरेन्द्र कुमार निषाद ने मुख्यमंत्री से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ट्रिपल टेस्ट कराते हुए पुनः नगर निकाय में अतिपिछडा वर्ग के लिए शीघ्र आरक्षण बहाल करने की मांग की। इन्होंने यह भी कहा कि जब तक अतिपिछडा वर्ग को नगर निकाय चुनाव में आरक्षण पुनः बहाल नहीं होता है तब तक राज्य सरकार नगर निकाय चुनाव नहीं कराये। महासचिव दिलीप कुमार निषाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट में कोलेजियम सिस्टम से जजो की नियुक्ति बन्द कर ऐसा सिस्टम बने कि सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व मिले। महासचिव उमेश मंडल ने केंद्र सरकार से लोकसभा एवं विधान सभा में अतिपिछडा वर्ग के लिए आरक्षण की मांग की। बैठक मे नगर निकाय चुनाव में अतिपिछडा वर्ग के संवैधानिक तौर पर हकमारी को लेकर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि बिहार निषाद संघ अन्य अति पिछड़ा वर्ग के संगठनों के साथ मिलकर 6 नवम्बर 2022 को पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर आरक्षण रोक के बिरोध में एक महाधरना आयोजित करेगा। जब तक यह आरक्षण पुनः बहाल नहीं होता तबतक बिहार के हर जिलों एवं प्रखंडों में धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। धन्यवाद ज्ञापन सुरेश प्रसाद सहनी के द्वारा किया गया।