बिहार में शराब पर प्रतिबंध है, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन की नाक के नीचे जहरीली शराब धड़ल्ले से बिक रही है, जो लोगों के लिए काल बनकर सामने आ रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वर्ष 2016 में शराब पीने से होने वाली हानि को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर का सर्वे कराकर रिपोर्ट प्रकाशित किया।
उसके बाद भी लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि शराब कितनी बुरी चीज है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भी यह इच्छा थी। जननायक स्व। कर्पूरी ठाकुर ने भी प्रदेश में शराबबंदी लागू की थी, जो बाद में हट गया। फिर उनकी सरकार ने इसे सर्वसम्मति से फिर से लागू करने के लिए तय किया।
यदि वे ठीक से इसका निर्वहन नहीं करते हैं तो उन पर कार्रवाई होगी
उन्होंने आगे कहा कि कोरोना के दूसरे दौर के पहले भी उन्होंने इसकी समीक्षा की। जिनको जो भी जिम्मेवारी दी गई है, यदि वे ठीक से इसका निर्वहन नहीं करते हैं तो उन पर कार्रवाई होगी। कई जगहों पर लोग पकड़ जा रहे हैं। गांव में भी कुछ लोग शराब बनाकर बेच रहे हैं, जिसमें कई लोगों की जान गई है। सभी लोगों को सोचना चाहिये कि ये सब चीज नहीं पीना है।
कुछ लोग शराबबंदी के कारण राजस्व संग्रह में कमी आने की बात कहते है
कुमार ने शराबबंदी कानून का भय नहीं होने के सवाल पर कहा कि इन सभी चीजों की वह 16 नवंबर को समीक्षा करेंगे। इस बैठक में मंत्री और अधिकारी रहेंगे। वह एक-एक चीज की जानकारी लेंगे और उसके आधार पर कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग शराबबंदी के कारण राजस्व संग्रह में कमी आने की बात कहते हैं, लेकिन उन्होंने शुरू में ही कह दिया था कि एक साल में लगभग पांच हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, उसके अगले साल मात्र 12-13 सौ करोड़ रुपये का लॉस हुआ था और उसके साल यह लॉस भी खत्म हो गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब के सेवन में कई लोग जो फालतू खर्च कर रहे थे, अब वे परिवार की भलाई में खर्च कर रहे हैं। शराबबंदी के बाद परिवार में मारपीट की घटना नहीं होती है। अधिकांश लोगों ने शराबबंदी को स्वीकार किया हैं। उन्होंने कहा कि शराबबंदी को लेकर फिर से अभियान चलाया जाएगा ताकि उसके प्रति लोगों में जागरूकता आये।