पार्टी से निकाले जाने के डर से अपने शासित राज्यों में जहरीली शराब से मरने वालों के लिए मुआवजे की मांग नहीं करते भाजपा नेता: राजीव रंजन - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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पार्टी से निकाले जाने के डर से अपने शासित राज्यों में जहरीली शराब से मरने वालों के लिए मुआवजे की मांग नहीं करते भाजपा नेता: राजीव रंजन

पटना पंजाब केसरी भाजपा नेताओं को चुनौती देते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद जहरीली शराब से होने वाली मौतों पर भाजपा के जो नेता छाती पीट-पीट कर मुआवजे की मांग करते हैं

पटना पंजाब केसरी भाजपा नेताओं को चुनौती देते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद जहरीली शराब से होने वाली मौतों पर भाजपा के जो नेता छाती पीट-पीट कर मुआवजे की मांग करते हैं, वही लोग मध्यप्रदेश और यूपी जैसे भाजपा शासित राज्यों में हुई मौतों पर मुआवजा देने के नाम पर मुंह सिल कर बैठ जाते हैं. इन्हें अच्छे से पता है कि शराबबंदी कानून लागू होने के बाद बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में शराब पीना अपराध की श्रेणी में आता है, इसलिए ऐसे राज्यों में मुआवजा देने का कोई औचित्य ही नहीं है. लेकिन मध्यप्रदेश और यूपी जैसी जो राज्य सरकारें खुद शराब बिकवाती हों वहां यदि ऐसी घटनाएँ होती है तो मुआवजा जरुर देना चाहिए. भाजपा के नेताओं को यह बताना चाहिए कि आखिर उनकी पार्टी अपने शासित इन राज्यों में जहरीली शराब से हुई मौतों पर मुआवजा क्यों नहीं देती?  उनके नेता वहां मुआवजा देने की मांग पार्टी से क्यों नहीं करते? उन्होंने कहा कि लोग अच्छे से जानते हैं कि भाजपा पूंजीपतियों के भरोसे चलने वाली पार्टी है. शराब पूंजीपति माफियाओं की आय का एक बड़ा माध्यम है. इसलिए वह अपने शासित प्रदेशों में शराबबंदी कर ही नहीं सकते. इसके अलावा उन्हें अच्छे से पता है कि यदि उन्होंने जहरीली शराब से होने वाली मौतों पर मुआवजा मांगा तो पार्टी उन्हें हमेशा के लिए निकाल देगी. दरअसल  भाजपा की निगाह में उसे वोट देने वालों के जीवन की कोई कीमत नहीं है? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रशंसा करते हुए जदयू महासचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता के प्रति समर्पित रहने के लिए जाने जाते हैं. यह उनकी सहृदयता ही है कि शराबबंदी कानून लागू रहने के बाद भी उन्होंने जहरीली शराब से मरे लोगों के परिजनों के लिए मुख्यमंत्री आपदा कोष से 4 लाख रु मुआवजे का प्रावधान कर दिया है. उनका मानना है कि किसी एक गलती का खामियाजा पूरे परिवार को नहीं भुगतना चाहिए. इसीलिए उन्होंने भुक्तभोगी परिवारों को मुआवजे के तौर पर आर्थिक संबल देने का काम किया है. भाजपाइयों में यदि हिम्मत हो अपने शासित राज्यों में भी ऐसे ऐलान करवा कर दिखाएं.

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