बिहार में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान होते ही तैयारियां ज़ोरो पर हैं। तीन चरण में होने वाले चुनावों का शांतिपूर्ण संचालन हो सके इसके लिए केंद्र सरकार ने राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बलों के लगभग 30,000 जवानों की तैनाती के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
चुनावों के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) और रेलवे सुरक्षा बल की 300 कंपनियों को बिहार में विधानसभा चुनाव के शांतिपूर्ण संचालन को सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया जाएगा।
आदेश के अनुसार, अधिकतम 80 कंपनियां, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) से होंगी, इसके बाद सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) से 70 कंपनियां, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) से 55, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) से 50, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) से 30 और आरपीएफ से 15 कंपनियां होंगी।
इन बलों की एक कंपनी में लगभग 100 जवान होते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘इन सीएपीएफ और आरपीएफ के कुल 300 कंपनियों या लगभग 30,000 कर्मियों को बिहार चुनाव में तैनाती के लिए सीमाओं और प्रशिक्षण सहित विभिन्न इकाइयों से तुरंत वापस बुलाने का आदेश दिया गया है।’’
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243 सदस्यीय बिहार विधानसभा के लिए मतदान तीन चरणों- 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को होंगे और 10 नवंबर को मतगणना होगी। चुनाव आयोग ने 25 सितंबर को राज्य के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा था कि मौजूदा कोविड-19 महामारी के दौरान यह चुनाव विश्व स्तर पर होने वाले सबसे बड़े चुनावों में से एक होगा।
इस घटनाक्रम से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘आईटीबीपी, बीएसएफ और एसएसबी जैसे सीमा रक्षक बलों को भी अपनी इकाइयों को वापस बुलाने और बिहार चुनाव के लिए भेजने के लिए कहा गया है। हालांकि, एलएसी पर मौजूदा स्थिति के कारण आईटीबीपी और पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा संभालने में बीएसएफ के जवानों की व्यस्तता बढ़ गई है, लेकिन फिर भी इन बलों को भी इस बार चुनाव ड्यूटी करनी पड़ सकती है।
अधिकारियों ने हाल ही में कहा था कि गृह मंत्रालय देश की विभिन्न सीमाओं पर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आंतरिक सुरक्षा कर्तव्यों से धीरे-धीरे सीमा सुरक्षा बलों- बीएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी को हटाने की “महत्वाकांक्षी” योजना पर काम कर रहा है।