बिहार में बीते दिनों चमकी बुखार से कई बच्चों की मौत हो गई थी. इस मामले में अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी होने के कारण बच्चों को बेहतर इलाज नहीं मिल पाया. सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों को चिकित्सा सुविधा देने के लिए डॉक्टरों के खाली पदों को भरना अदालत की क्षमता से बाहर है ।
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि बिहार में पीड़ित बच्चों को चिकित्सा सुविधा देने के लिए डॉक्टरों के खाली पदों को भरना अदालत की क्षमता में नहीं है. इस बात की चर्चा उस समय की गई जब अदालत को बताया गया कि बिहार में नर्सों और डॉक्टरों के 75 प्रतिशत से भी ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं .पीठ ने बोला कि मंत्रियों ,राज्यसभा सदस्यों और न्यायाधीशों के अलावा धूप और पानी की भी कमी है तो हम इन सबकी पूर्ति नहीं कर सकते है ।
याचिकाकर्ता ने बिहार में डॉक्टरों और नर्सों के खाली पदों को भरने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की थी. हालांकि कोर्ट ने बोला कि बिहार में डॉक्टरों के पद खाली है तो हमें क्या करना चाहिए? एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम बीमारी की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों पर सुप्रीम कोर्ट ने पर संतोष जाहिर किया है . बता दे कि चमकी बुखार के कारण मुजफ्फरपुर में 140 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी, जिसको लेकर अदालत में एक याचिका दायर की गई थी.