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जल-जीवन-हरियाली अभियान में जन-भागीदारी’ कार्यक्रम की मुख्यमंत्री ने की शुरुआत

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज अधिवेशन भवन में जल-जीवन-हरियाली दिवस के अवसर पर ‘जल-जीवन-हरियाली अभियान में जन-भागीदारी’ कार्यक्रम की शुरुआत पौधे में जल अर्पण कर किया। इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज ‘जल-जीवन-हरियाली अभियान में जन-भागीदारी’ विषय पर परिचर्चा में जीविका दीदी और संबद्ध विभाग के कुछ पदाधिकारियों ने जल-जीवन-हरियाली अभियान के विभिन्न पहलुओं पर अपनी-अपनी बातें रखी हैं, उसके लिए उन्हें विशेष रुप से धन्यवाद देता हूं। 

उन्होंने कहा कि जून, 2019 में विधानसभा में अधिकारियों की नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में मैंने पर्यावरण पर उत्पन्न संकट के संबंध में अपनी बातें रखते हुए कहा था कि पर्यावरण पर संकट है उसके लिए हमलोगों को काम करना होगा। राज्य में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव दिखने लगा है। दक्षिण बिहार के साथ-साथ उत्तर बिहार में भी भूजल स्तर नीचे गिरने लगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार की जनसंख्या अब बढ़कर 12 करोड़ से ज्यादा हो गई है। जब हमलोगों ने बिहार में कार्य संभाला था, उस समय प्रजनन दर 4.3 था, जो अब घटकर 3.2 हो गया है। बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार का हरित आवरण 9 प्रतिशत रह गया था। 

वर्ष 2010 में स्कूल के बच्चे-बच्चियों के द्वारा स्कूलों में पौधारोपण की शुरुआत करायी गई थी। वर्ष 2012 में हरियाली अभियान की शुरुआत की गई और 24 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया जिसके तहत 19 करोड़ से ज्यादा पौधारोपण किया गया। अधिक से अधिक वृक्षारोपण कराने के कारण अब बिहार का हरित आवरण हरित आवरण क्षेत्र बढ़कर 15 प्रतिशत हो गया है। 5 जून 2020 से 9 अगस्त 2020 तक 2 करोड़ 51 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य था लेकिन उससे अधिक 3 करोड़ 47 लाख पौधे लगाए गए। अब यह आंकड़ा बढ़कर 3 करोड़ 91 लाख हो गया है। इस साल हमलोगों ने 5 करोड़ वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा है। राज्य के हरित आवरण क्षेत्र को कम से कम 17 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए कार्य किया जा रहा है। सड़क, पोखर, तालाबों के किनारे भी वृक्षारोपण किया जा रहा है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत 11 अवयवों को शामिल किया गया है। 7 अवयव जल संरक्षण से संबंधित है। एक अवयव हरियाली से, एक मौसम के अनुकूल फसल कार्यक्रम से, एक अवयव सौर ऊर्जा से और एक अवयव जागरुकता अभियान से संबंधित है। आज कल फसल अवशेषों को जलाने की प्रवृति बढ़ रही है, जो पर्यावरण के लिए घातक है। फसल अवशषों के प्रबंधन विषय पर वर्ष 2019 में पटना में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन किया गया था, जिसमें विशेषज्ञों के द्वारा कई महत्वपूर्ण बातें सामने आयी थीं। उन्होंने कहा कि पुआल न जलाने के लिए लोगों को समझाया जा रहा है, उससे होने वाले नुकसान के संबंध में बताया जा रहा है। पदाधिकारियों को पुआल नहीं जलाने के लिये लोगों को जागरुक करने को कहा गया है। 

मौसम के अनुकूल फसल कार्यक्रम की शुरुआत पहले 8 जिलों से की गई और बाद में बाकी के 30 जिलों में भी इसकी शुरुआत कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान यात्रा के दौरान लोगों में पर्यावरण के प्रति मैंने जागृति देखी थी। लोगों में जागृति का ही परिणाम है कि 19 जनवरी 2020 को जल-जीवन-हरियाली अभियान के पक्ष में 5 करोड़ 16 लाख से अधिक लोगों ने 18 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी मानव श्रृंखला बनायी। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौर में भी कई कार्य किए गए हैं। उस दौरान राज्य के बाहर फंसे लोगों के खाते में मुख्यमंत्री राहत कोष से एक हजार रुपये अंतरित किये गये। कोरोना काल में देश के विभिन्न हिस्सों से ट्रेनों के माध्यम से 22 लाख लोगों को बिहार लाया गया। 15 लाख लोगों को 14 दिन क्वारंटाइन में रखा गया। 

क्वारंटाइन में एक आदमी पर 5300 रुपये खर्च किये गये। मजबूरी में रोजगार के लिए किसी को बिहार से बाहर जाने की जरुरत न हो, उसके लिए काम किया जा रहा है। औद्योगिक नीति में परिवर्तन किया गया है। पश्चिम चंपारण में बाहर से आए लोग बेहतर ढंग से काम कर रहे हैं। पूरे राज्य में पश्चिम चंपारण मॉडल को अपनाकर काम किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार के द्वारा कोरोनाकाल के दौरान लोगों को राहत पहुॅचाने के लिये कई कार्य किये गये। कोरोना की शुरुआत से ही कोरोना से संबंधित हर रोज हम आंकड़े मंगवाते रहे हैं और उसके आधार पर आंकलन कर कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पदाधिकारियों को निर्देश देते रहे हैं। राज्य सरकार अपनी तरफ से भी खर्च कर कोरोना की टेस्टिंग …