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चिराग को फिर लगा बड़ा झटका, 30 साल बाद पिता रामविलास पासवान के सरकारी बंगले से होगी विदाई

अपने ही चाचा के हाथों लोक जनशक्ति पार्टी में ही किनारे लग चुके चिराग पासवान की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है। इस बीच हाउसिंग मिनिस्ट्री के डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स ने लोकसभा सांसद चिराग पासवान को एक नोटिस भेजा है।

अपने ही चाचा के हाथों लोक जनशक्ति पार्टी में ही किनारे लग चुके चिराग पासवान की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है। इस बीच हाउसिंग मिनिस्ट्री के डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स ने लोकसभा सांसद चिराग पासवान को एक नोटिस भेजा है, जिसमें उन्हें अपने दिवंगत पिता रामविलास पासवान को आवंटित राष्ट्रीय राजधानी में सरकारी आवास खाली करने के लिए कहा है।
मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल रामविलास पासवान की पत्नी, बेटे चिराग पासवान और कुछ अन्य परिजन इस बंगले में रह रहे हैं। वहीं पासवान के निधन के बाद केंद्र की मोदी सरकार में उनके छोटे भाई पशुपति पारस को जगह दी गई है, जबकि चिराग पासवान को उनकी ही पार्टी के नेताओं ने अध्यक्ष पद से भी बेदखल कर दिया है। चिराग पासवान खुद दूसरी बार लोकसभा के सांसद हैं और इस नाते उन्हें नॉर्थ एवेन्यू में एक मकान आवंटित किया गया है।  हालांकि वो हमेशा से ही पिता रामविलास पासवान के साथ और निधन के बाद से 12, जनपथ वाले बंगले में ही रहते आए हैं।
वहीं जानकारी के अनुसार पिछले महीने ही चिराग पासवान ने शहरी विकास मंत्रालय से मकान खाली करने के लिए थोड़ा और समय मांगा था।  जिसके बारे में उनकी शहरी विकास मंत्री हरदीप पूरी से मुलाकात भी हुई थी। सूत्रों के अनुसार अपने पिता रामविलास पासवान की पहली बरसी तक चिराग पासवान इसी बंगले में रहना चाहते हैं।  आठ अक्टूबर को रामविलास पासवान की पहली बरसी होगी।
बता दें कि रामविलास पासवान ने अपने दौर में इस बंगले के अंदर ही अपना और बेटे चिराग पासवान का दफ्तर बना लिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बंगला खाली करने का आदेश जारी होने से पहले चिराग पासवान ने कुछ वक्त की मांग की थी। कहा यह भी जा रहा है कि उन्होंने पिता की पहली पुण्यतिथि तक इसमें बने रहने की बात कही थी।
इससे पहले हाउसिंग मिनिस्ट्री की ओर से चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस को 12 जनपथ स्थित बंगले में शिफ्ट होने को कहा था। लेकिन उन्होंने यह प्रस्ताव खारिज कर दिया था। पारस का कहना था कि इससे राजनीतिक तौर पर गलत संदेश जाएगा। रामविलास पासवान इस बंगले में अपनी मृत्यु तक करीब तीन दशकों तक रहे थे।

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