बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने जलवायु परिवर्तन के संभावित खतरे के प्रति चिंता व्यक्त करते हुये आज कहा कि इसका सर्वाधिक असर गरीबों, महिलाओं और कृषि क्षेत्र पर पड़ रहा है।
श्री मोदी ने यहां बिहार विधानमंडल के सेंट्रल हॉल में आयोजित ‘राज्य में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न आपदाजनक स्थिति पर विमर्श’ के लिए आयोजित बैठक में कहा कि जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक असर गरीबों, महिलाओं और कृषि क्षेत्र पर पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के निर्देश पर जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर राज्य कार्ययोजना तैयार की जा रही है, जिससे 10 विभाग कृषि, मत्स्य संसाधन, जल संसाधन, आपदा प्रबंधन, नगर विकास, परिवहन, ऊर्जा, स्वास्थ्य, उद्योग और खनन सम्बद्ध हैं। बिहार में पर्यावरण एवं वन विभाग का नाम पहले ही बदल कर ‘ पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन ’ विभाग कर दिया गया है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के ‘जल शक्ति अभियान’ के तहत बिहार के 12 जिलों के 30 प्रखंड को शामिल किया गया था, जिसका मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर राज्य के सभी 38 जिलों में विस्तार कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही सभी जलह्मोतों को चिन्हित और उनकी पहचान कर उनके पुनर्स्थापन और उड़ही का निर्णय लिया है।
श्री मोदी ने कहा कि बिहार में 01 से 15 अगस्त 2019 के बीच ‘वन महोत्सव’ का आयोजन कर सघन पौधारोपण के तहत 1.75 करोड़ पौधे लगाए जायेंगे। इस दौरान ग्रामीण विकास विभाग महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत 50 लाख और वन विभाग अपनी विभिन्न योजनाओं के तहत 1.25 करोड़ पौधारोपण करेगा। जितने भी पौधे लगाए जायेंगे वे चार फुट लम्बे और दो वर्ष पुराने होंगे।
शहरी क्षेत्रों में गैबियन के बीच पौधे लगाए जायेंगे तथा बाद में भी उनकी देखरेख एवं पानी देने की व्यवस्था की जायेगी।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग ने निर्णय लिया है कि सड़क एवं अन्य निर्माण के दौरान अब कोई पेड़ काटा नहीं जायेगा। उन्होंने कहा कि राजधानी पटना के सगुना मोड़ के पास एक एजेंसी के माध्यम से पेड़ के प्रत्यारोपण का प्रयोग किया जा रहा है।