पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा कि देश की 9 करोड़ से ज्यादा मुसलिम महिलाओं को 1400 साल पुरानी फौरी तीन तलाक की बर्बर प्रथा से आजादी दिलाने वाला बिल संसद के दोनों सदनों से पारित कराना एक ऐतिहासिक कदम है। संसदीय लोकतंत्र की इस महान उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई।
कांग्रेस ने तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने और दोषी पति को 3 साल की जेल देने के प्रावधान का विरोध किया, लेकिन कांग्रेस की सरकार ने 1956 में हिंदू मैरिज एक्ट पारित कर दूसरा विवाह करने वाले पति को 7 साल की जेल का प्रावधान किया था। कांग्रेस गुनहगार पति के मुसलिम होने पर 3 साल की कैद का विरोध करती है और दोषी पति के हिंदू होने पर 7 साल की सजा का इंतजाम करती है। ऐसे एकतरफा सेक्युलरिज्म के चलते ही कांग्रेस रसातल में पहुंच गई।
देश की 9 करोड़ से ज्यादा मुसलिम महिलाओं को 1400 साल पुरानी फौरी तीन तलाक की बर्बर प्रथा से आजादी दिलाने वाला बिल संसद के दोनों सदनों से पारित कराना एक ऐतिहासिक कदम है।
संसदीय लोकतंत्र की इस महान उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई । pic.twitter.com/hB30j3sXC5
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) July 31, 2019
श्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय बने दहेज विरोधी कानून और घरेलू हिंसा निवारक कानून में भी गुनहगार पति को जेल भेजने का प्रावधान है। दहेज विरोधी कानून तो गैरजमानती भी है। ये कठोर कानून पास करते समय यह सवाल क्यों नहीं उठाया गया कि पति के जेल जाने पर परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा।
कांग्रेस ने 1986 में जब 62 साल की तलाकशुदा शाहबानो को गुजारा भत्ता देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संसद में बहुमत का दुरुपयोग कर पलटवा दिया थाए तब उसे चिंता क्यों नहीं हुई कि उस बेसहारा का गुजारा कैसे होगा। लोग जानना चाहेंगे कि क्या तीन तलाक विरोधी कानून में गुनहगार का मजहब देखकर नरमी की दलील देना सेक्युलरिज्म है। कांग्रेस केवल वोटबैंक के लिए मुस्लम औरतों के साथ होने वाले सामाजिक अन्याय का समर्थन करती रही।