पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग जैसे कारणों का लोकल एफेक्ट जब अत्यधिक गर्मी, अतिवृष्टि या असाध्य मौसमी बीमारी के रूप में सामने आता है, तब इनसे निपटने के लिए बनी सामान्य व्यवस्था का आकस्मिक दबाव न झेल पाना अस्वाभाविक नहीं, लेकिन यही वह आपदकाल होता है, जब सरकारी- गैरसरकारी तंत्र पीडि़त मानवता को बचाने में जुटने की चुनौती स्वीकार करते हैं।
यह समय अतिताप, लू और एईएस बीमारी से पीडि़त लोगों को बचाने में सबका सहयोग करने का है, राजनीति करने का नहीं। श्री मोदी ने कहा कि एनडीए सरकार ने 2008 और 2017 में जल प्रलय जैसी बाढ़ का सामना करते हुए लाखों लोगों की जान बचायी थी। दवा और रशद का इंतजाम करने के साथ ही किसानों के खाते में सीधे सहायता राशि भेजी गई थी।
जिन लोगों ने 2017 की बाढ़ के समय पटना में रैली स्थगित कर बाढ़ पीडि़तों की सेवा करने की अपील ठुकरा दी, वे चमकी बुखार से पीडि़त बच्चों के गरीब परिवारों की मदद में आने की बजाय अज्ञातवास में रहकर चुनाव की थकान मिटा रहे हैं। लू और चमकी बुखार से पीडि़त परिवारों की मदद के सरकार के प्रयासों में मीनमेख निकालने वाले राजद के लोग बतायें कि उनके नेता गरीबों की विपदा के समय कहां हैं।