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बिहार सरकार के जाति जनगणना फैसले के खिलाफ याचिका पर कोर्ट ने विचार करने से किया इनकार

बिहार सरकार ने राज्य में जाति आधरित जनगणना कराने का निर्णय लिया था इस फैसले के खिलाफ एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में जाति आधरित जनगणना के खिलाफ एक याचिका दायर की थी जिसपर अदालत ने इस याचिका पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है।

बिहार सरकार ने राज्य में जाति आधरित जनगणना कराने का निर्णय लिया था इस फैसले के खिलाफ एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में जाति आधरित जनगणना के खिलाफ एक याचिका दायर की थी  जिसपर अदालत ने इस याचिका पर  चर्चा करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को संबंधित उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने और कानून के अनुसार, उचित उपाय खोजने की स्वतंत्रता प्रदान है तो पहले वहीं जाएं। इसी के साथ अब बिहार में जातिगत जनगणना कराना जारी रह सकेगा।
याचिकाकर्ता को कोर्ट क्या कहा?
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि याचिकाएं विचार करने योग्य नहीं है और याचिकाकर्ताओं को संबंधित उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक प्रचार हित याचिका है।
जज ने आरक्षण को लेकर क्या  दी दलीलें?
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि हम विशेष जाति को कितना आरक्षण दिया जाना चाहिए, इस बारे में निर्देश कैसे जारी कर सकते हैं। जजों ने कहा कि हम इस तरह के आदेश जारी नहीं कर सकते हैं और इन याचिकाओं पर विचार नहीं कर सकते हैं। 
क्या था पूरा मामला जानें ?
अदालत ने एक एनजीओ और अन्य द्वारा दायर तीन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता उचित उपाय के लिए पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं। पीठ ने आदेश दिया कि सभी याचिकाओं को वापस ले लिया गया मानकर खारिज किया जाता है और कानून में उचित उपाय खोजने की स्वतंत्रता दी जाती है। बता दें कि 11 जनवरी को अदालत ने कहा था कि वह इस मामले को 20 जनवरी को सुनेगी, क्योंकि याचिकाकर्ताओं में से एक ने मामले की तत्काल लिस्टिंग का उल्लेख किया था।

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