कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं बिहार में विधान परिषद के सदस्य प्रेमचंद्र मिश्रा ने आज कहा कि राज्य में केवल लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन का गठन हुआ था और अब वर्ष 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव के पूर्व समान विचारधारा वाले दलों का नया गठबंधन आकार लेगा।
श्री मिश्रा ने यहां कहा कि इस वर्ष संपन्न हुये लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में महागठबंधन बना था, जिसमें कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम), राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) शामिल थी। उन्होंने कहा कि यह महागठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए ही बना था और अब इसके सभी घटक दल अपने अनुसार राजनीतिक गतिविधियां चलाने के लिए स्वतंत्र हैं।
श्री मिश्रा ने कहा, ‘‘बिहार में वर्ष 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व समान विचारधारा वाले दल मिलकर एक नया गठबंधन बना सकते हैं। बिहार में अब महागठबंधन अस्तित्व में नहीं है।’’ इससे पूर्व हम के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने अभी हाल ही में वर्ष 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने की घोषणा करते हुए कहा था कि महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) दोनों ने ही उनकी पार्टी को अब तक ठगा है।
श्री मांझी ने कहा था कि पार्टी के गठन के बाद से अबतक हुए चुनाव में वह जिस भी गठबंधन में रहे उन्हें ठगा ही गया है। जब पार्टी राजग के साथ थी तब वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें ठगा गया। इसके बाद वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन में भी उनकी पार्टी को उतनी सीट नहीं दी गई जितनी की वह हकदार थी। उन्होंने कहा कि पार्टी के अधिकांश नेताओं का मानना है कि पार्टी को स्वतंत्र पहचान के लिए अपने दम पर ही चुनाव लड़ना चाहिए।
हम के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘पार्टी जब अपने दम पर चुनाव लड़गी तभी पता चलेगा कि उसका कितना वोट है।’’ उन्होंने कहा कि इस बार के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को तालमेल के तहत महागठबंधन ने तीन सीट दी थी लेकिन सही मायने में तीन में से सिर्फ एक सीट पर उनकी पार्टी का उम्मीदवार था शेष दो सीटों में से एक पर कांग्रेस और एक पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रत्याशी को हम की टिकट से चुनाव लड़या गया। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी थी।
वहीं, लोकसभा चुनाव का परिणाम में राजद का बिहार में खाता तक नहीं खुलने के बाद से चुनाव की कमान संभालने वाले पार्टी नेता तेजस्वी प्रसाद यादव राजनीतिक गतिविधियों में नहीं दिख रहे हैं। वह इस बार बिहार विधानमंडल के मॉनसून सत्र के दौरान केवल दो दिन ही सदन की कार्यवाही में उपस्थिति रहे। इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने उनका मजाक भी उड़या था।
इस बीच राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव के लोकसभा चुनाव के बाद से राजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं रहने को लेकर कहा था कि यह श्री यादव के करियर के लिए ठीक नहीं है। उन्हें अपने पिता एवं राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की तरह ही चुनौतियों का सामना करना चाहिए।