स्वर्ग की सीढ़ी नरक-निवारण चतुर्दशी : बाबा-भागलपुर - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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स्वर्ग की सीढ़ी नरक-निवारण चतुर्दशी : बाबा-भागलपुर

हाँ, लेकिन सिर्फ व्रत से ही काम नहीं चलेगा, यह भी प्रण करना होगा कि मन, वचन और कर्म से जान-बूझकर कभी किसी को कष्ट नहीं पहुँचायेंगे।

स्वर्ग में अपना स्थान बनाने के लिए नरक-निवारण चतुर्दशी से अच्छा दिन कोई और हो ही नहीं सकता। इस दिन बेर और बेलपत्र के माध्यम से स्वर्ग में अपने लिए स्थान बनाने की चेष्टा की जाती है। जिससे नर्क जाने का रास्ता बन्द हो जाता है। वर्ष में सामान्यत: कुल चौबीस चतुर्दशी होते हैं जिसमें बारह कृष्ण पक्ष और बारह शुक्ल पक्ष के होते हैं।जिसमें नरक निवारण चतुर्दशी का अपना विशिष्ट स्थान है। यह चतुर्दशी मिथिलांचल का अति महत्त्वपूर्ण पर्व है।

इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय सम्मान से अलंकृत व अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त ज्योतिष योग शोध केन्द्र, बिहार के संस्थापक दैवज्ञ पंo आरo केo चौधरी “बाबा-भागलपुर”, भविष्यवेत्ता एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ ने शास्त्रोंक्त मान्यतानुसार बतलाया कि:- नर्क की यातना और पाप कर्मो के बुरे प्रभाव से बचना है और स्वर्ग में अपने लिए सुख और वैभव की कामना चाहते हैं तो, स्वर्ग में अपने लिये स्थान बनाने का अवसर गंवाना नहीं चाहिये। इस वर्ष यह सुअवसर 03 फरवरी 2019 (रविवार) को माघ कृष्ण चतुर्दशी है।

यह चतुर्दशी देवाधिदेव महादेव को अत्यन्त प्रिय है, शास्त्रो में कारण यह बताया गया है कि इसी दिन पर्वतराज हिमालय ने अपनी सुपुत्री पार्वती जी की शादी का प्रस्ताव भगवान शिव के पास भेजा था, यानी इसी दिन भगवान शिव का विवाह तय हुआ और महाशिवरात्रि को विवाह सम्पन्न हुई।

इसलिए इस दिन व्रत रखकर जो व्यक्ति भगवान शिव सहित माता पार्वती और गणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं उन पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। नर्क जाने से बचने के लिए नरक-निवारण चतुर्दशी के दिन भगवान शिव को बेलपत्र और बेर जरूर भेंट करना चाहिए। इस व्रत को रखनेवाले को पूरे दिन निराहार रहकर शाम में व्रत तोड़ना चाहिये। ऐसा शास्त्र-सम्मत विधान है। हाँ, लेकिन सिर्फ व्रत से ही काम नहीं चलेगा, यह भी प्रण करना होगा कि मन, वचन और कर्म से जान-बूझकर कभी किसी को कष्ट नहीं पहुँचायेंगे।

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