डॉ राजन सिंह सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि अगर अपनी डूबती राजनीति चमकानी हो तो किसी बड़े नाम वाले पर कोई आरोप लगा दीजिए। फिर भगवान राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। सबका बेड़ा पार करते हैं।
आगे कहा कि यह जरुर है कि उनकी राजनीतिक जमीन और सिकुड़ जाती है। इससे पहले श्री मांझी ने पिछले दिन को कहा कि उन्हें भी मंदिरों में दलितों के प्रवेश के बारे में बोलना चाहिए। मांझी कर्नाटक की उस घटना का जिक्र कर रहे थे जहां मंदिर प्रशासन ने एक दलित पिता पर 23,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जो मंदिर के द्वार के बाहर पूजा कर रहा था, लेकिन उसका दो साल का बेटा 4 सितंबर को इसमें प्रवेश कर गया।
श्री मांझी ने कहा, धार्मिक माफिया ऐसी घटना के बारे में कुछ नहीं कहेंगे। वे ऐसे मौकों पर चुप हो जाते हैं। कोई भी दलित समुदाय के मंदिरों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने पर नहीं बोलेगा। वे दलित लोगों को मंदिरों में प्रवेश करना या धार्मिक किताबें पढ़ना पसंद नहीं करते हैं।
श्री मांझी ने ट्वीट में आगे कहा, मैं जो कुछ भी कह रहा हूं. सदियों के दर्द का नतीजा है, हमने अब तक अपना गुस्सा जाहिर नहीं किया है। श्री मांझी ने कहा कि उन्हें बिहार के स्कूली पाठ्यक्रम में रामायण को शामिल करने से कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन उन्होंने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि रामायण की कहानी सच्चाई पर आधारित नहीं है।