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झारखंड सरकार विशेष ट्रेन से अपने लोगों को ला सकती हैं तो बिहार क्यों नही: अनिल साहनी

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जी के आह्वान पर अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस पर सरकार की बदइंतजामी और कुप्रबंधन के विरुद्ध एवं अप्रवासी बिहारी भाईयों, छात्रों की सकुशल वापसी के लिए राजद उपाध्यक्ष सह पूर्व सांसद डॉ.अनिल साहनी अपने परिवार के साथ सांकेतिक अनशन दिया।

पटना, (पंजाब केसरी) : अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जी के आह्वान पर अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस पर सरकार की बदइंतजामी और कुप्रबंधन के विरुद्ध एवं अप्रवासी बिहारी भाईयों, छात्रों की सकुशल वापसी के लिए राजद उपाध्यक्ष सह पूर्व सांसद डॉ.अनिल साहनी अपने परिवार के साथ  सांकेतिक अनशन दिया। डा.साहनी के कहा कि लॉकडाउन में बिहार के अप्रवासी मजदूर छात्र-छात्राएं बिहार आने के लिए लगातार मदद की गुहार लगा रही है । अन्य राज्यों में बिहार के नागरिकों का स्थिति दयनीय है और वह सरकार से मदद की गुहार लगा रहें है लेकिन राज्य सरकार की नीयत बिहारियों को उनके राज्य लाना नहीं हैं। जब सभी राज्य अपने नागरिकों को सकुशल अपने राज्य बुला रहें वही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी अभी भी सोच में डूबे हुए की उनको लाया जाए कि नही। मानव श्रृंखला के नाम करोड़ो खर्च करने के लिए हो जाते है रैलियों के लिए सरकार के पास संसाधन से ज्यादा बसें हो जाती है और बिहार के बाहर फंसे नागरिकों के लिए उनके पास बस नहीं यह सिर्फ  ढोंग मात्र है। अब तो बिहार में दो इंजन की सरकार है सारे संसाधन सरकार के अधीन है इसके बावजूद भी कोटा में फंसे छात्र-छात्राओं को लाने में सरकार असक्षम है। क्यों जब तेलांगना और झारखंड सरकार के समन्वय से तेलंगाना के लिंगमपल्ली स्टेशन से झारखंड के लिए पहली स्पेशल ट्रेन1225 यात्रियों को लेकर आ सकती है वो भी अलग-अलग सरकार होने के बावजूद वहां एनडीए की सरकार नही है। बिहार के लिए स्पेशल ट्रेन क्यों नहीं चल सकती जब एक ही सरकार दोनो जगह है फिर किस बात की समस्या इससे यह स्पष्ट होता है कि बिहार सरकार की मंशा मजदूर छात्रों को लाने की नही है उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सिर्फ बयानबाजी ही करते रहें और अपने राज्य के नागरिकों को बाहर मरने पर विवश करते रहें है।  इस समय भी उपमुख्यमंत्री को राजनीति शिवाय कुछ नही सूझ रहा है।

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