बिहार विधानसभा में कुछ दिन से दंगल जैसी स्थिति बनी हुई है विपक्षी दलों के विधायक और नितीश सरकार के बीच जबरदस्त घमासान मचा हुआ है इसी मामले में कल विधानसभा भवन के बाहर विपक्षी विधायकों ने एक समानांतर भवन बनाकर अपना विरोध प्रकट किया तथा विधानसभा का बहिष्कार किया, इस विरोध में महिला विधायकों ने चूड़ियां दिखाकर अपना गुस्सा ज़ाहिर किया।
इन सभी के बीच यह जान लेना बेहद ज़रूरी है कि आखिर बिहार विधानसभा में पेश हुए पुलिस बिल में आखिर ऐसा है क्या जिसे लेकर विपक्ष द्वारा इतना हंगामा किया जा रहा है और नौबत यहां तक आ गई थी कि विधानसभा के स्पीकर को उन्हीं के कैबिन में बंधक बनाने तक का प्रयास किया गया जिसके परिणामस्वरूप विधायकों और पुलिसकर्मियों के बीच मार पिटाई की घटनाएं सामने आई।
दरअसल बिहार विधानसभा में जिस पुलिस सशस्त्र बिल को लेकर इतना हंगामा किया जा रहा है उसमें पुलिस को कुछ विशेषाधिकार दिए गए हैं दूसरे शब्दों में कहें तो इस पुलिस बिल के पास हो जाने के बाद बिहार राज्य में पुलिस को ये अधिकार होगा कि वे बिना वारंट किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है इसी के साथ इसमें बिना वारंट तलाशी लेने की शक्ति, गिरफ्तारी के बाद की जाने वाली प्रक्रिया, जघन्य अपराधियों के लिए दंड, न्यायालय की जांच प्रक्रिया जैसे कुछ प्रावधान शामिल है।
इसमें गिरफ्तारी के बाद आरोपित के साथ जो कानूनी प्रक्रिया जाती है, उसके लिए भी पुलिस स्वतंत्र होगी। जघन्य अपराध लिए दंड देने का अधिकार पुलिस के पास होगा। वहीं, इस बिल की सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि कोर्ट किसी भी मामले में तभी अपना दखल देगी जब पुलिस उनसे ऐसा करने को कहेगी। पुलिस को मिलने वाले इन्हीं अधिकारों के खिलाफ विपक्ष द्वारा इतना बवाल मचाया जा रहा है।