पटना : कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए प्रदेश के कृषि पदाधिकारियों के साथ समीक्षात्मक बैठक कर आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। पदाधिकारियों को कोरोना वायरस के चलते उत्पन्न होने वाली समस्याओं के निदान करने को कहा। राज्य के किसानों को खेती बारी से संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु वैज्ञानिक सलाह उपलब्ध कराने, कृषि विज्ञान केन्द्रों में बीज उत्पादन की स्थिति एवं आगामी खरीफ मौसम के लिए बीज की उपलब्धता की स्थिति, खरीफ मौसम में फसलों के बेहतर उत्पादन एवं उत्पादकता प्राप्त करने के लिए आवश्यक रणनीति, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन से संबंधित किसानों के समस्याओं का समाधान, बर्ड फ्लू, स्वाईन फीवर की स्थिति पैदा होने पर समुचित प्रबंधन, पशुओं में होने वाले बीमारियों की रोकथाम एवं पशु जनित संक्रामक बीमारियों की रोकथाम हेतु विश्वविद्यालय स्तर पर की जा रही कार्रवाई तथा राज्य के दूध उत्पादन में वृद्धि के लिए गायों के नस्ल सुधार एवं देशी गौवंश की वृद्धि के लिए की जा रही कार्रवाई पर विस्तृत चर्चा की गई तथा आवश्यक निर्देश दिये।
मंत्री ने कहा कि लॉकडाउन की अवधि में बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों को प्रत्यक्षण हेतु मूंग, उरद का 500 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 94 क्विंटल बीज, तेलहन तिल, सूर्यमुखी, का 500 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 6 क्विंटल बीज मक्का का 4 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 8 क्विंटल बीज अन्य, जूट मसाला फसलें का 30 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 3 क्विंटल बीज, 1345 पौधें वितरण, 200 यूनिट पशु देख रेख ,कृमिनाशक, तथा 123 लिटर विभिन्न प्रकार के रसायन उपलब्ध कराये गये। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की अवधि में खेती कार्य में लगे किसानों को कोरोना वायरस से बचाव हेतु सभी 21 कृषि विज्ञान केन्द्रों में किसानों के बीच कुल 4200 मास्क का वितरण किया गया। बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अपने अधीन महाविद्यालयों कृषि विज्ञान केन्द्रों के द्वारा किसानों को विशेषकर आम, मक्का, जूट, मशरूम एवं मसालों की फसलों एवं गेहूं की फसल कटाई की तैयारी में कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु दिशा निर्देश, सावधानियों को लगातार संचार तकनीकों तथा व्हाट्सएप, एम.किसान पोर्टल, के माध्यम से जानकारी उपलब्ध करायी जा रही है।
उन्होंने कहा कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों को समय-समय पर मौसम संबंधी जानकारी एवं आवश्यक सुझाव भी दिए जा रही है। समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से कृषि तकनीकी एवं पशु स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भी उपलब्ध कराई जा रही है। कृषि विज्ञान केन्द्र, बाढ़, पटना द्वारा संचालित एफ.एम. रेडियो स्टेशन के माध्यम से किसानों को कोरोना संक्रमण से बचाव सुरक्षा के मानक, कृषि कार्य में सावधानियां सरकार द्वारा दिये गये निदेशों के अनुपालन एवं सुझाव, फसलों की समसामयिक जानकारी, पौधा रोग नियंत्रण, पशु स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी विशेषज्ञों के माध्यम से उपलब्ध कराई गई है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित सामुदायिक रेडियो स्टेशन एफ.एम.ग्रीन 90.8 से कोरोना संक्रमण से बचाव सामाजिक दूरी बनाते हुए कृषि कार्यों का सम्पादन एवं समसामयिक कृषि सलाह निरन्तर प्रसारित किया जा रहा है। जहां पहले 3 घंटे के नियमित कार्यक्रम का प्रसारण किया जा रहा था, वहीं लॉकडाउन अवधि में रेडियो के प्रसारण अवधि को 12 घंटे का किया जा रहा है।
इसके साथ ही, सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि, सरकारी निर्देशों, स्थानीय निकाय जैसे मुखिया, सरपंच इत्यादि से इन्टरव्यू का प्रसारण कर समुदाय के लोगों को सटीक जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। लॉकडाउन की अवधि में पशुओं में गलघोंटू रोग के संक्रमण को देखते हुए विशेषज्ञों द्वारा आवश्यक सुझाव दिये जा रहे हैं। सरकार द्वारा उपलब्ध कराये गये आरोग्य सेतु मोबाईल एप एवं कृषि रथ एप को कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से किसानों के मोबाईल में इंस्टॉल कराया गया एवं इसके उपयोग की जानकारी भी दी गई है।
डॉ.कुमार ने कहा कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अन्तर्गत सभी महाविद्यालयों में स्नातक परास्नातक एवं शोध छात्रों की पढ़ाई ऑनलाईन कोर्स के माध्यम से शुरू की गई है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर द्वारा 5028 क्विंटल धान के बीजों को तैयार किया गया है। बायोटेक किसान हब योजना के अन्तर्गत मखाना उत्पादन, मधुमक्खीपालन, टिशू कल्चर केला उत्पादन, बकरीपालन एवं मशरूम उत्पादन के माध्यम से 6 आकांक्षी जिले तथा अररिया, औरंगाबाद, बांका, खगड़िया, पूर्णियां एवं कटिहार में ऐसे युवक, जो पलायन से लौटे हैं, उनको इस योजना के माध्यम से जीवकोपार्जन हेतु प्रेरित किया जा रहा है। बायोटेक किसान हब योजना के अन्तर्गत पटना, लखीसराय एवं गया जिलों के किसानों को खेसारी फसल उत्पादन हेतु विशेष जानकारी प्रदान की गई है। पलायन से लौटे युवकों के लिए स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग लॉकडाउन के बाद वृहद रूप से शुरू की जायेगी।