नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार की स्वास्थ्य सुविधाओं को नंबर-वन का दर्जा मिला है, रुको-रुको…बिहार को ये दर्जा ऊपर से नंबर एक नहीं बल्कि निचले पायदान से मिला है। अब राज्य की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर नीतीश सरकार मौन धारण किए बैठी है। वहीं विपक्ष ने भी इस मुद्दे में कूदते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को थका हुआ बता दिया।
थके हुए मुख्यमंत्री हैं नीतीश
नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार की स्वास्थ्य सुविधाओं को मिले दर्जे को लेकर RJD नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हमने तो कहा था कि यह थके हुए मुख्यमंत्री हैं। इनसे बिहार संभल नहीं रहा। इनको बिहार संभालने में, बिहार के लोगों की तरक्की में और न ही बिहार को आगे बढ़ाने में कोई रुचि है, बल्कि इनको बस अपनी कुर्सी बचानी है।
नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार की स्वास्थ्य प्रणाली सबसे नीचे
नीति आयोग ने हाल ही में देश भर के जिला अस्पतालों की स्टडी में बिहार के जिला अस्पतालों को सबसे खराब और पुडुचेरी के जिला अस्पतालों सबसे अच्छा स्थान दिया। पुडुचेरी के अस्पतालों में औसतन 222 बेड उपलब्ध हैं। जबकि बिहार की हालत सबसे ज्यादा खराब है, बिहार के जिला अस्पतालों में औसतन मात्र 6 बेड मौजूद हैं। जबकि भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (IPHS) 2012 के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 22 बेड होने चाहिए। यह दिशा-निर्देश 2001 की जनगणनना के जिला जनसंख्या औसत पर आधारित है।
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नीति आयोग के अनुसार 217 जिला अस्पतालों में प्रति एक लाख आबादी पर कम से कम 22 बिस्तर पाए गए। यह पाया गया कि जिन जिलों में आबादी कम है, वहां बुनियादी ढांचे से संबद्ध प्रदर्शन से जुड़े प्रमुख संकेतकों की स्थिति बेतहर है। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ इंडिया) के सहयोग से तैयार की गई है।